Bihar

विद्यालयों में खाली पदों पर शिक्षकों की नियुक्तियां सुनिश्चित की जानी चाहिएं:लक्ष्मी सिन्हा

बिहार।पटना राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि स्कूलों में शिक्षक नहीं, कैसे हो पढ़ाई शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रथमिक विद्यालयों के कक्षाओं में 30 बच्चे को पढ़ने के लिए एक शिक्षक उपलब्ध होना चाहिए। वहीं मध्य विद्यालयों के कक्षाओं में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक निर्धारित है। इसके अतिरिक्त मध्य विद्यालयों के कक्षाओं में गणित /विज्ञान,भाषा और सामाजिक विषय पढ़ाने के लिए एक_एक टीचर की जरूरत होती है। मगर प्रदेश के विद्यालयों में सबसे ज्यादा गणित और विज्ञान विषय के शिक्षकों के ही पद खाली पड़े हैं। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि बिहार के छात्र_छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ कब तक होती रहेगी? चालू शैक्षणिक सत्र की सात माह बितने जा रही हैं, किंतु बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों के दो लाख से ज्यादा पद खाली पड़ी हैं। शिक्षकों की कमी और पाठ्य पुस्तकों की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित है। इस सच्चाई से क्या सरकार भगवत नहीं है? अगर है तो शिक्षकों की वर्ष 2019 से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया लंबी क्यों खींची जा रही है? प्रदेश के विद्यालयों में केवल शिक्षकों की कमी नहीं है, बल्कि माध्यमिक विद्यालय में भी प्रधानाध्यापकों के छह हजार पद खाली हैं। ऐसे में शिक्षकों को प्रभार सौंपकर विद्यालयों को संचालित कराया जा रहा है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है, जबकि सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु बजट का सर्वाधिक 51 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग के मुताबिक राज्य के 71 हजार 863 प्रारंभिक विद्यालयों में 80 हजार पद खाली पड़े हैं। सबसे बुरा हाल तो प्रत्येक पंचायत में खोले गए माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई की है, जहां शिक्षकों के लिए स्वीकृत पदों में एक लाख 20 हजार पद खाली हैं। 9 हजार 360 ऐसे माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई कैसे हो रही है, इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि शिक्षकों की कमी का सीधा असर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

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