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मजदूर झारखंडी तो नेता भी झारखंडी ही होगा : मजदूर महासभा


झारखंड;मजदूरों के समश्या और उसका समाधान कैसे हो विषय पर झारखंड जनतांत्रिक मजदूर महासभा का परिचर्चा आज दिनांक 17/10/2021 को नेशनल हाइवे 33 के समीप पोलासबोनी पंचायत भवन में सम्पन्न हुआ.

परिचर्चा में नेशनल हाइवे स्थित कंपनियों में काम कर सैकड़ों महिला पुरुषों ने भाग लिया.जिसमें वक्ताओं के ने कहा कि आज के समय में जिस प्रकार से सरकार और कारखाना मालिकों का मनमानी बढ़ रहा है इसके लिए अभी मजदूर को एकजुठ होकर आंदोलन करना आवश्यक हो गया है. इसका सबसे बड़ा कारण मजदूरों को अपने हक़ अधिकारों के बारे अज्ञानता है. मजदूरों के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए मजदूरों को फेक्ट्री एक्ट 1948 और अन्य मजदूर कानूनों के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है. पहले झारखंडी जनमनस खेती किसानी काम करते थे लेकिन बाद के दिनों में हमलोग देखते है कि मजदूरी करने वालों का संख्या झारखंडी मजदूरों का ही ज्यादा है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि झारखंडी मजदूरों का नेता झारखंड लोग नहीं बन पाते है या नहीं बनने दिया जाता है. इसलिए यही झारखंडी मजदूर है तो उसका नेता भी झारखंडी ही होगा.

परिचर्चा में निम्न प्रस्ताव लिया गया

● नेशनल हाइवे के स्थित सभी कंपनियों में 75% झारखंडी मजदूरों को रखना होगा.
● सभी मजदूरों का पीएफ, ईएसआई और गेट पास बनना होगा.
● सभी कुशल और अकुशल मजदूरों को उनके योग्यता के अनुसार वेतन देना होगा.

आगे के गतिविधियों के लिए 17 महिला पुरुषों का एक संचालन समिति बनाया गया.

मौके पर सुनील हेम्ब्रम, दीपक रंजीत, संजय कर्मकार, सुमित कु० कर, गोपाल, सोहन टुडू, विश्वनाथ, रुष धिबर, राजाराम मुर्मू, धनंजय सिंह, सन्तोष महतो, दामन सिंह, मेघनाथ टुडू, कृष्णा लोहार, बादल धोरा, अजित तिर्की, मलिन मुर्मू, जैकोब किस्कु, सलगे माण्डी, सुमित्रा टुडू, जानकी मुर्मू, सुशीला टुडू, नोगेन सोरेन, बीरेश धिबर, सुविता टुडू, सुनीता टुडू, सावित्री टुडू, चैतन माण्डी, संदीप पाल, प्रेमलता सिंह, नयन धिबर, सनातन टुडू, मनसाराम हांसदा, जीतू हेम्ब्रम, उदय धर आदि उपस्थित थे.

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