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तुलसी भवन में देवभाषा संस्कृत को रोजगारोन्मुखी बनाने हेतु परामर्शदात्री संगोष्ठी का आयोजन

जमशेदपुर। संस्कृत को रोजगारोन्मुखी बनाने हेतु संगोष्ठी का आयोजन ‘सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन, तुलसी भवन में हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता संस्कृत की विदुषी डॉ रागिणी भूषण ने किया। मुख्य अतिथि तुलसी भवन के मानद महासचिव श्री प्रसेनजित तिवारी , मुख्य वक्ता इग्नू देवघर के रीजनल डायरेक्टर डॉ सरोज कुमार मिश्र, विशिष्ट अतिथि अब्दुल बारी महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ मुदिता चंद्रा की सम्मानीय उपस्थिति रही। मुख्य वक्ता डॉ सरोज कुमार मिश्र ने विषय पर विस्तृत प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि आज देश के साथ ही विदेशों में भी संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन पर विशेष प्रयास किया जा रहा है क्योंकि संस्कृत के स्नातक, परास्नातक, आचार्यों की मांग काफी बढ़ गई है । संस्कृत के स्नातकों की ही भारी भर्ती भारतीय सेना में धर्म शिक्षक के रूप में हो रही है तो कर्मकांड, ज्योतिष, वैदिक गणित इत्यादि क्षेत्रों में भी अपार सम्भावनाओं के द्वार खुल गए हैं ।
कर्मकांड एवं फलित ज्योतिष के परास्नातक ( MA) पास विद्वानों के लिये विदेशों में भी रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ी है । जनसंख्या का बड़ा भाग किसी न किसी पारिवारिक समस्याएं, वैवाहिक समस्याएं, कैरियर सम्बंधित समस्याओं का समाधान TV चैनल, यूट्यूब चैनलों पर सजीव प्रसारण में जन्मकुंडली के आधार पर भी हल किये जा रहे हैं ।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत देवघर इग्नू झारखंड में एम ए (संस्कृत), एम ए (ज्योतिष), एम ए ( वैदिक अध्ययन) एवं वैदिक गणित के लिये अलग से 6 महीने का प्रमाण पत्र कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, जिसे सभी लोग अपने घर पर रहते हुए भी लाभ उठा सकते हैं । वैदिक अध्ययन के पश्चात पी एच डी की सुविधा भी उपलब्ध है।
मुख्य अतिथि प्रसेनजित तिवारी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है, यहाँ तक कि महान भाषा तमिल में भी संस्कृत के शब्द प्रचुरता में मिलते हैं । संस्कृत में ही विश्व की प्राचीनतम ग्रँथ वेद की रचना हुई है। विशिष्ट अतिथि डॉ मुदिता चंद्रा ने प्राम्भिक कक्षाओं से ही संस्कृत शिक्षण को आवश्यक करने पर बल दिया। अध्यक्ष एवं सुविख्यात विदुषी डॉ रागिणी भूषण ने संस्कृत अध्ययन के लिये उच्च गुणवत्ता वाले संरचनाओं के साथ अच्छे संस्कृत शिक्षकों की आवश्यकता को रेखांकित किया एवं झारखण्ड सरकार को पूर्व से ही स्वीकृत संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना का आह्वान किया। इस अवसर पर डॉ लक्ष्मी झा, यमुना तिवारी व्यथित , डॉ अजय ओझा सहित नगर के अनेक संस्कृत विद्वानों के साथ महाविद्यालयों से विद्यार्थियों ने भी सहभाग किया।

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