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टाटा लीज समझौता के अनुरूप सभी नागरिकों को मिले जनसुवधिाएं : सरयू राय

जमशेदपुर. टाटा लीज समझौता के अनुरूप सभी नागरिकों को जनसुवधिाएं उपलब्ध करने के संबंध में डीसी कार्यालय के सामने धरना कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम के कार्यालय पर विधायक सरयू राय के धरना कार्यक्रम के अवसर पर मंगलवार को मुख्य मंत्री सह नगर विकास मंत्री, झारखंड सरकार को प्रेषित स्मार पत्र दिया.
उपायुक्त विषय के संबंध में निवेदन है कि देश में जमशेदपुर एक ऐसा शहर है जहां नगरपालिका स्वशासन की व्यवस्था नहीं है. नगर निकाय व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए संविधान का 74वां संशोधन होने के बाद भी यहाँ संविधान के अनुच्छेद 243 ‘फ’ के मुताबिक नगर निगम/औद्योगिक नगर का गठन नहीं हो पाया है. इसके पूर्व भी ऐसी व्यवस्था नहीं थी. नगरपालिका के नाम पर जेएनएसी की व्यवस्था चल रही है, जो असंवैधानिक है.
नगरपालिका के अभाव में जमशेदपुर के नागरिकों को नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी तत्कालीन बिहार सरकार और टिस्को (टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी) के बीच 1985 में हुए टाटा लीज समझौता के प्रासंगिक प्रावधानों के मुताबिक टिस्को पर थी. 2005 में टाटा लीज समझौता का नवीकरण झारखंड सरकार के मुख्य सचिव और टाटा स्टील लि॰ के प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर से हुआ. लीज नवीकरण समझौता में भी नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये टाटा स्टील लि॰(आगे कंपनी) के दायित्व का स्पष्ट उल्लेख है. सुलभ संदर्भ हेतु समझौता दस्तावेज के प्रासंगिक पृष्ठों पर अंकित नागरिक सुविधा संबंधी उल्लेखों का हू-ब-हू जिक्र निम्नवत कर रहा हूँ.
टाटा लीज समझौता में कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली नागरिक सुविधाओं का विस्तार से उल्लेख है. यह उल्लेख भी है कि कंपनी ये सुविधाएँ पूरे जमशेदपुर के नागरिकों को उपलब्ध करायेगी, अपने खर्चे पर उपलब्ध करायेगी और नागरिकों से उतना ही शुल्क वसूल करेगी जितना झारखंड सरकार अपनी नगर पालिकाओं के लिये समय समय पर तय करेगी. परंतु समझौता में यह प्रावधान नहीं है कि यदि किसी नागरिक को जनसुविधाओं के संबंध में कोई शिकायत है तो उसके निराकरण के लिये वह कहाँ जाएगा ? उसकी सुनवाई कौन करेगा ? उसका निदान कौन करेगा ? भवदीय से अनुरोध है कि इसकी तत्काल व्यवस्था करें.
सभी शहरों की तरह जमशेदपुर का भी उर्ध्व एवं क्षैतिज विस्तार तेजी से हो रहा है. शहर विस्तार को ध्यान में रखते हुए नागरिक सुविधा संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण की कोई योजना नहीं है. मैंने पर्याप्त प्रयास किया कि कंपनी और सरकार इसकी संयुक्त योजना बनाये परंतु यह नहीं हुआ. इसके बिना जमशेदपुर का जनजीवन अस्त-व्यस्त एवं नारकीय होने की ओर बढ़ रहा है. इसकी व्यवस्था करायें.
नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की व्यवस्था निरंतर चलनेवाली व्यवस्था है. किसी नागरिक के घर में ये सुविधाएँ एक बार मिल जाती हैं तो वे पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है. समय के साथ इनका उन्नयन होता है और नागरिक नियमानुसार इसका शुल्क अदा करते रहता है. इसलिये पानी, बिजली सदृश नागरिक सुविधाएँ देते समय नागरिकों से इनकी स्थापना का एकमुश्त शुल्क नहीं वसूला जाए. यह नीतिगत निर्णय सरकार करे.
टाटा लीज समझौता हुए 37 वर्ष और इसका नवीकरण हुए 17 वर्ष होने जा रहा है. परंतु आज तक जमशेदपुर के सभी इलाकों तक जनसुविधाएँ नहीं पहुँच सकी है. पानी, बिजली,
सफाई, जल-मल निकासी जैसी अत्यंत आवश्यक नागरिक सुविधाओं का घोर अभाव है. जमशेदपुर रहने पर प्रतिदिन टाटा लीज क्षेत्र के एवं टाटा लीज से बाहर किये गये क्षेत्र के इलाकों का भ्रमण करता हूँ. दोनों भाग में जल-मल निकासी व्यवस्था ध्वस्त होने अथवा नहीं होने के अनेक उदाहरण मिल रहे हैं. मानो बरसों से इस ओर कंपनी प्रबंधन, जिला प्रशासन, जेएनएसी एवं जन प्रतिनिधियों ने ध्यान ही नहीं दिया है. ध्वस्त जल-मल निकासी व्यवस्था को सुदृढ़ करना और बस्ती क्षेत्रों में जहां यह व्यवस्था नहीं है, वहाँ इसे स्थापित करना अति आवश्यक हो गया है. यह कार्य हर हालत में अतिशीघ्र किये जाएँ.
जमशेदपुर पूर्वी विधान सभा क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति की मुख्यतः दो व्यवस्थाएँ हैं. एक कंपनी द्वारा की गई व्यवस्था और दूसरी सरकार द्वारा की गई मोहरदा पेयजल आपूर्ति
व्यवस्था जिसका संचालन कंपनी द्वारा सरकार के सहयोग से किया जा रहा है. दोनों ही व्यवस्थाओं की गंभीर त्रुटियों की ओर मैंने नगर विकास विभाग, जेएनएसी और कंपनी का ध्यान आकृष्ट किया है. इन शिकायतों का शीघ्र निराकरण किया जाय.
नागरिक सुविधाओं, खासकर पेयजल एवं जल-मल निकासी के बारे में सुविधा प्रदाताओं को टाटा लीज के प्रावधानों के संबंध में व्यवहारिक. संवेदनशील एवं मानवीय दृष्टिकोण रखना होगा. पेयजल आपूर्ति मामले में छाया नगर से लेकर बाबूडीह-लाल भट्ठा इलाका तक, जोजोबेडा एवं निकटवर्ती क्षेत्र, केबुल टाउन क्षेत्र तथा जल-मल निकासी मामले में ब्राह्मण टोला, भुंइयाडीह ग्वाला बस्ती इलाका, पंजाबी रिफ्युजी कॉलोनी, देवनगर इलाका आदि क्षेत्रों में कंपनी द्वारा अपनाये गये रवैया में इसका घोर अभाव दिख रहा है. सरकार को इस अभाव की पूर्ति करने लिये आगे आना होगा और स्पष्ट निर्देश देना होगा. आप कृपया अपने स्तर से हस्तक्षेप करें और ऐसा होना सुनिश्चित करें.
बिजली आपूर्ति मामले में टाटा लीज क्षेत्र एवं लीज से बाहर क्षेत्र की बस्तियों में कंपनी दोहरा मापदंड अपना रही है. लीज समझौता के अनुसार सभी बस्ती क्षेत्रों एवं गैर बस्ती क्षेत्रों को बिजली की सुविधा उपलब्ध कराना कंपनी का दायित्व है. परंतु लीज समझौता होने के 36 वर्ष और इसके नवीकरण के 17 वर्ष बाद भी यह नहीं हो सका है. कंपनी जमशेदपुर के बाहर के नागरिकों को बिजली उपलब्ध करा रही है, परंतु लीज समझौता में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद जमशेदपुर की सभी बस्तियों की बात तो दूर अपने लीज क्षेत्र की बस्तियों में भी बिजली नहीं दे रही है. यह व्यवस्था की जाय कि जमशेदपुर का जो कोई भी व्यक्ति कंपनी की बिजली लेना चाहे तो उसे यह सुविधा दी जाएगी.
एक ओर नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने में कोताही हो रही है तो दूसरी ओर इनके स्थापन शुल्क में बढ़ोतरी हो रही है. जमशेदपुर पूर्व की बस्तियों एवं अन्य क्षेत्रों में होल्डिंग्स टैक्स की व्यवस्था नहीं हो पाई है. जहां है वहाँ इसमें भारी वृद्धि हुई है. होल्डिंग्स व्यवस्था मालिकाना अधिकार की दिशा में एक ठोस कदम है. बस्तियों को इससे आच्छादित किया जाय और जहां है वहाँ होल्डिंग्स टैक्स की वृद्धि वापस ली जाय.
बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग जमशेदपुर में लंबे समय से की जा रही है. जिन लोगों ने बस्तीवासियों की इस माँग को बड़ा मुद्दा बनाया वे समय आने पर मुकर गये. राज्य में शीर्ष पद पर बैठने के बाद निहित स्वार्थ में इसका सौदा कर लिया और लीज का झुनझुना थमा दिया. आप अवगत हैं कि जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र से विधायक होने के बाद से ही मैंने इस बारे में आपके स्तर पर, मुख्य सचिव एवं राजस्व सचिव के स्तर पर लगातार बैठकें की है. कोरोना काल में भी मैं इस बारे में सक्रिय रहा हूँ. सरकार को अन्य राज्यों द्वारा इस ओर उठाये कदमों के बारे में तथा झारखंड में ‘‘राँची नगर निगम बनाम उपायुक्त, राँची’’ के मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से भी मैंने सरकार को अवगत कराया है. इन दस्तावेजों के आलोक में मालिकाना हक देने के लिये सरकार को एक नियम बनाना होगा. यह नियम बनाने की दिशा में आप ठोस निर्णय लें ताकि राज्य में सभी योग्य व्यक्तियों को उनके आशियाना का मालिकाना मिल सके.
नागरिक सुविधाओं के साथ ही हाट, बाजार, पार्किंग, पार्क, गार्डेन, खेल मैदान, जन स्वास्थ्य, व्यायामशाला, पुस्तकालय, वाचनालय, पर्यावरण संरक्षण आदि सुविधाएँ भी व्यवस्थित हों. इसकी देख रेख एवं क्रियान्वयन के लिये एक अधिकार संपन्न समिति बनाने का निर्देश जिला प्रशासन को दें.
टाटा स्टील एवं अन्य कंपनियों के उत्पादन क्षमता में वृद्धि होने के कारण ट्रैफिक की समस्या जानलेवा हो गई है. शायद ही ऐसा कोई दिन हो जिस दिन ट्रैफिक की कुव्यवस्था के कारण कोई न कोई अपनी जान नहीं गँवा रहा हो. ट्रैफिक के प्रकोप से जनता को बचाने के लिये मैंने पहले भी सुझाव दिया है. इसके लिये टाटा स्टील, टाटा मोटर्स एवं अन्य उद्योगों के भारी वाहनों को शहर से सीधे बाहर निकलने की योजनाओं को सरकार जल्द लागू करे. इनमें से दो योजनायें प्रमुख हैं. एक, टाटा मोटर्स से गोविन्दपुर उपरि पुल के माध्यम से भारी वाहनों को सीधे बाहर निकालना तथा दूसरा लिट्टी चौक से नदी पार कर डीपीएस होते हुये भारी वाहनों को सीधे शहर से बाहर निकालना. इसके अतिरिक्त शहर के भीतर भीड़भाड़ वाले इलाकों में उपरि पुल का निर्माण करना निहायत जरूरी है. इसके लिये चिन्हित एवं लंबित परियोजनाओं को शीघ्र लागू करने का निर्देश दें.
शहर से गुजरने वाले बड़े नालों की घटती क्षमता के कारण शहर के विभिन्न मुहल्लों में लोगों का जीना दूभर हो गया है. विगत चार दिनों में मैंने प्रभावित क्षेत्रों का
दौरा किया है और इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि इन सभी नालों की उड़ाही युद्ध स्तर पर होना आवश्यक है. कई नालों की उडाही कई वर्षों से नहीं हुई है. गत सप्ताह एक दिन में मात्र दो-तीन घंटो तक की बारिश में इन नालों का पानी मुहल्लों के घरों में घुस गया और नागरिकों को काफी नुकसान पहुँचाया. कल मुझसे मिलने आये कंपनी के वरीय
अधिकारियों से मैंने कहा है कि वे मुझे जमशेदपुर का ड्रेनेज-सिवरेज का नक्शा उपलब्ध करायें और जेएनएसी के साथ मिलकर सभी नालों की उडाही करायें. इस हेतु जेएनएसी को सरकार संसाधन मुहैया कराने का निर्देश विभाग को दे.जमशेदपुर शहर में ऐसे नागरिकों की बड़ी तादाद है जो अल्प वेतनभोगी हैं, अत्यंत कम आय पर गुजारा करने वाले हैं, दिहाड़ी मजदूर हैं. इनके एवं इनके परिवार की शिक्षा एवं चिकित्सा बड़ी समस्या है. लीज समझौता के अनुसार शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना कंपनी का दायित्व है. पर कंपनी ने इससे हाथ खींच लिया है. सड़कों के किनारे दुकानें/ठेला, खोमचा लगाकर जीवन यापन करने वालों की सुध सरकार को लेनी होगी, इन्हें उजाड़ने एवं विस्थापित करने के पहले नियमानुसार बसाया जाना मानवीय दृष्टिकोण से उचित होगा. यह देखना सरकार का काम है कि अल्प वेतनभोगी, अल्प आय जीवी समुदाय के हितों की रक्षा करना और शहरी गरीबी को दूर करने के लिये सरकार और प्रशासन को आगे आना होगा. बढ़ती महंगाई मध्यम एवं निम्न मध्यम वर्ग के लिये सबसे बड़ी समस्या हो गयी है. गैस सिलिंडर, पेट्रोल-डीजल आदि की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाना सरकार के प्रयास से ही संभव है. इसके लिये केन्द्र पर दबाव डालना निहायत जरूरी हो गया है. जमशेदपुर के नागरिक अन्य अनेक गंभीर समस्याओं से भी जूझ रहे हैं. फिलहाल मैं नागरिक सुविधाओं की बदहाली दूर करने तथा यहाँ के जन जीवन को समस्या मुक्त करने में आपके सहयोग की अपेक्षा तक ही स्वयं को सीमित रखना चाहता हूँ. इस ओर आपका ध्यान आकृष्ट करने तथा समस्याओं का शीघ्र निदान करने की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करने के लिये मंगलवार को उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम के कार्यालय पर धरना दे रहा हूँ और उपायुक्त के माध्यम से आपको यह ज्ञापन प्रेषित कर रहा हूँ। आपसे अनुरोध है कि टाटा लीज समझौता में उल्लिखित जन सुविधा संबंधी प्रावधानों का जमशेदपुर में अक्षरशः पालन कंपनी और सरकार से करायें और इसके निरंतर निरीक्षण, पर्यवेक्षण, मार्गदर्शन एवं नियंत्रण हेतु एक अधिकार संपन्न संस्थात्मक व्यवस्था बनायें ताकि जमशेदपुर के सभी नारिकों को ये सुविधाएं उपलब्ध हो सके।

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