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सुबह आनंद मार्गी महिलाओं ने ईश्वरप्राणीधान के साथ अशोकाषष्ठी और अशोकाष्टमी को महिला संबंधित बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए लाल फूल वाला सीता अशोक के फूल का सेवन किया

जमशेदपुर। आनंद मार्गी महिलाओं ने स्वस्थ रहने के लिए चैत महीने के अशोकाषष्ठी से अशोकाष्टमी को सुबह ईश्वरप्राणीधान के बाद खाली पेट में लाल फूल वाला औषधीय अशोक के फूल का सेवन किया। एक पके केले जल या दूध के साथ 8 मूंग या उड़द और 8 अशोक फूल या कली सबको एक ग्रास में ग्रहण किया।
महिलाओं के लिए लाभप्रद है केले के साथ अशोक के फूल का सेवन,

वैसे अशोक के पेड़ के धार्मिक व औषधीय गुणों की चर्चा होती रहती है। नयी पीढ़ी को भी इसके गुणों के बारे में जानना चाहिए। इस दिन जहां भी ताजा अशोक फुल उपलब्ध है जमशेदपुर के लगभग सभी महिला आनंद मार्गी महिला संबंधित बीमारियों से निजात पाने के लिए “बाबा ” श्री श्री आनंदमूर्ति जी के बताए गए लाल फूल वाला अशोक के फूल का सुबह खाली पेट में सेवन किया।
फूल का उपलब्ध स्थान सोनाली सुनील आनंद का आवास , गदरा आनंद मार्गी रामप्रताप जी के आवास एवं गदरा आनंद मार्ग जागृति में पौधों में खिला है लाल फूल
आनंदमार्गी सुनील आनंद ने बताया कि आनंद मार्ग चर्याचर्य पार्ट- 3 में आनंदगार्म के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने बताया है कि अशोकाषष्ठी एवं अशोकाष्टमी को प्रत्येक ऋतु प्राप्त नारी एक पके केले के साथ अथवा जल या दूध के साथ 6 मूंग या उड़द और 6 अशोक फूल या कली एक ग्रास में निगल जाएं। सधवा और विधवा सभी नारियां अशोकाषष्ठी और अशोकाष्टमी व्रत का पालन करें। अन्यथा चावल और रोटी के बदले दिन में फल या फूल खाकर रहें। रात में भी अन्न का सेवन नहीं करें। आनंद मार्गी महिलाओं ने इस प्रक्रिया का पालन करते हुए अशोकाषष्ठी और अशोकाष्टमी सुबह खाली पेट में अशोक के फूल का सेवन किया।

आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल जमशेदपुर के सुनील आनंद का कहना है कि आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने यौगिक चिकित्सा एवं द्रव्य गुण, आनंद मार्ग चर्याचर्य पार्ट- 3 ,कृषि कथा में अशोक की उपलब्धता एवं औषधीय महत्व के विषय में कहा है कि सीता अशोक शो प्लांट के रूप में लगाए जाने वाले अशोक से भिन्न होता है। अशोक फूल ज्यादातर क्षेत्रों में लाली फूल लिए होता है किंतु सुनहरे और पीले अशोक फूल भी होते हैं। अति गर्म अंचल, अति शीतल अंचल छोड़कर भारत में सभी जगह अशोक का पेड़ होता है।

अशोक का फूल, छाल और मूल नाना प्रकार की औषधि बनाने में काम आता है। विशेषकर महिलाओं से संबंधित विभिन्न प्रकार की व्याधियों में अशोक के औषधीय गुण सर्व स्वीकृत है। अशोकासव, अशोकारिष्ट औषधियां अशोक से बनती है। पौराणिक नवपत्रिका ( 9 पौधे के पत्तों से बनी देवी मूर्ति) में अशोक अनंतम है। अशोक की अधिष्ठात्री तांत्रिक देवी का नाम है शोकरहित। अशोक का मतलब होता है जहां शोक ना हो।

ये है कहानी

कहा जाता है कि रावण ने जब सीता जी का हरण किया था तो रावण के पास बहुत सारी वाटिकाएं थीं परंतु सीता जी के स्वास्थ्य लाभ का ध्यान रखते हुए रावण ने उन्हें अशोक वाटिका में ही रखा क्योंकि अशोक के संपर्क में रहने से महिलाओं से संबंधित बीमारियों का इलाज संभव है। लगभग सभी ऋषि महर्षियों ने माना हे कि अशोक महिलाओं के संबंधित बीमारियों में काफी लाभप्रद है।

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