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भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय संगठन सचिव राकेश पाण्डेय ने एक बयान जारी कर राज्य सरकार पर भाषाई विरोधी होने का लगाया आरोप

दिनांक 5/8/2021 को राज्य कैबिनेट ने राज्य.स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा(जेपीएससी, एसएससी) आदि में 30 अंक की परीक्षा स्थानीय भाषा में देना अनिवार्य किया है। इसके तहत कल 12 स्थानीय भाषा को जोड़ा है जिसके तहत उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया शामिल है। यानी झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा में इन 12 भाषाओं में से किसी एक भाषा में 30 नंबर की परीक्षा देना अनिवार्य होगा।
राकेश पांडे ने कहा की राज्य सरकार बताये की उर्दू कब से स्थानीय भाषा हो गई। इसके साथ हीं उन्होंने कहा की झारखंड की एक बड़ी जनसंख्या मगही और भोजपुरी और आंगिका बोलती है जिसे राज्य सरकार ने अनिवार्य नहीं किया।
राज्य सरकार का यह निर्णय मगही, भोजपुरी और अंगिका भाषियों के खिलाफ है।
राकेश पाण्डेय ने कहा कि भारतीय जनतंत्र मोर्चा इन भाषाओं को भी प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल कराने के लिय लोकतांत्रिक तरीकों से राज्य सरकार पर दबाव बनायेगी। तथा झारखंड में लगभग 40 लाख लोगों की मातृभाषा के साथ अन्याय नहीं होने देगी। भारतीय जनतंत्र मोर्चा की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा इस विषय के.संबंध में जल्द हीं एक रुप रेखा तय की जायेगी।
2000क्ष की जनगणना के अनुसार भी बात करें तो मुंडारी भाषा 6 लाख 67 हजार लोग, कुरमाली 1 लाख 82 हजार, खड़िया 1 लाख 10 हजार, संथाली 20 लाख 75 हजार , हो 6 लाख 50 हजार , कुड़ुख 6 लाख 50 हजार , इसी तरह से उड़ीया और बंगला भाषा बोलने वालों की जनसंख्या भी करीब 5 से 6 लाख है। वहीं हम देखते हैं कि झारखंड में मगही, 18 लाख, 34 हजार, भोजपुरी, 6लाख 67 हजार लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं।
राकेश पाण्डेय ने कहा की आंकड़ों के अनुसार भी इन भाषा बोलने वालों की संख्या बाकी कई भाषा बोलने वालो से अधिक है फिर भी राज्य सरकार इनको अनदेखी कर इस बात को प्रमाणित करती है कि वह इन भाषाओं के विरोधी है।
पांडे ने कहा की राज्य सरकार यथाशीघ्र अपने निर्णयों पर विचार करते हुए मगही, भोजपुरी और अंगिका भाषा को शामिल करे।
अन्यथा भारतीय जनतंत्र मोर्चा इन भाषाओं को शामिल कराने के लिए सरकार पर लोकतांत्रिक तरीकों से दबाव बनायेगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनतंत्र मोर्चा का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही महामहिम राज्यपाल और माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर अपना विरोध दर्ज करायेगी और मगही, भोजपुरी तथा अंगिका भाषा को भी इन प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल करने का आग्रह करेगी।

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