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भागवत में सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु हुए भाव-विभोर बिष्टुपुर तुलसी भवन में भागवत कथा का विश्राम

जमशेदपुर। झारखंड प्रादेशिक मारवाड़ी महिला सम्मेलन और मारवाड़ी महिला मंच जमशेदपुर द्धारा संयुक्त रूप से बिष्टुपुर तुलसी भवन में चल रहे सप्ताह व्यापी भागवत कथा का हवन यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ शुक्रवार को कथा का विश्राम हो गया। उपस्थित सैकड़ों भक्तों द्वारा भागवत कथा के विश्राम पर हवन यज्ञ में पूर्णाहुति दी गई। हवन एवं पुर्णाहुति के बाद लगभग एक हजार से अधिक भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। इससे पूर्व शुक्रवार की सुबह कथावाचक सीताराम शास्त्री ने व्यास पीठ से सुदामा चरित्र, श्री कृष्ण स्वधाम गमन प्रसंग का सुंदर व्याख्यान करते हुए कहा कि कलियुग में जीवन के सभी पापों से मुक्ति का एक मात्र आधार भगवान की भक्ति ही है। भगवान का नाम स्मरण करने से ही भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। भगवान नाम में भारी शक्ति है। उन्होंने कहा कि जगत में कुछ भी अनुपयोगी नहंी है, बस उपयोग का विवेक होना चाहिए। रसोई घर की आग घर को चलाती हैं। वही आग जब रसोई से बाहर ड्रांइग रूम, बेड रूम में पहुॅचे तो घर को जलाती हैं। कथा वाचक ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। शास्त्री जी ने कहा कि जगत में हमारे पास जो कुड भी है वह मिला हैं मेरा नहीं है, ऐसा विचार रखना चाहिए। ये दौलत हमें किसी की बदौलत मिली हैं। अतः सदा देने वाले परमात्मा के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए, कृतधन नहीं। भगवान श्री कृष्ण लीला का वर्णन करते हुए आगे कहा कि भगवान की लीला दर्पण की तरह हैं। जिसमें हमें अपने स्वरूप का ही दर्शन होता हैं। दत्तात्रेय प्रसंग पर शास्त्री ने कहा कि संसार गुण दोषमय हैं। इसमें जो दोषों को ग्रहण करता हैं वह दुर्जन है और जो गुणग्राही है वह सज्जन हैं।
इनका रहा योगदानः- सप्ताह व्यापी भागवत कथा को सफल बनाने में प्रमुख रूप से जया डोकानिया, लता अग्रवाल, मजू खंडेलवाल, प्रभा पाड़िया, विभा दुदानी, बीना अग्रवाल, उर्मिला संधी, ज्योत्सना अग्रवाल, सुशीला खीरवाल, जगदीश खंडेलवाल, किशन चौधरी, कमलेश मोदी, रीता लोधा, अजय अग्रवाल, सरिता अग्रवाल, डा. रेणुका, अंजु सर्राफ, सविता खीरवाल, उषा बागड़ी, रूपा अग्रवाल, मंजु महेश्वरी, प्रीति अग्रवाल, सुषमा अग्रवाल, किरण देबुका, पुरूषोत्तम देबुका, अभिषेक गोल्डी, सरोज कांवटिया, प्रखर मिश्रा, मंजु अग्रवाल, मंजु सावा, सीमा दोदराजका, देवी खेमका,

कुमुद अग्रवाल, संतोष धुत, गीता खंडेलवाल, मीरा बबीता, आभा चुड़ीवाल, ऋचा झुनझुनवाला, मधु सावा, नंद किशोर अग्रवाल, किशोर खंडेलवाल, कंचन खंडेलवाल, संजु खंडेलवाल, पुष्पा संघी, राजेन्द्र प्रसाद, वर्षा मित्तल, उमेश साह, अरूण बांकरेवाल, निरंजन मूनका, सरोज भालोटिया, रानी अग्रवाल, ललिता सरायवाला, नारायणी मित्तल, सरोज चेतानी, नरेश खंडेलवाल सहित संस्था की सभी सदस्यों का पूरा योगदान रहा।

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