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दुर्घटना में मौत पर 33 लाख 50 हजार मुआवजे का निर्देश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नेशनल बीमा कंपनी को ट्रक दुर्घटना में नौकरीशुदा युवक की मौत पर 33 लाख 50 हजार रुपये मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अधिकरण के अवार्ड में वृद्धि करते हुए कहा कि एक युवा की दुर्घटना में मौत माता-पिता व परिवार के लिए सदमा है। माता पिता के जीवित रहते युवा बेटे की मौत पर दुख व मानसिक पीड़ा की हम कल्पना ही कर सकते हैं। मां ने पहले अपना इकलौता बेटा खोया, फिर पति भी नहीं रहे। वह अपना शेष जीवन अकेले संघर्षों में बिता रही है। कोर्ट ने अधिकरण के अवार्ड से आठ फीसदी ब्याज भी देने का निर्देश दिया है। साथ ही बीमा कंपनी के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि ट्रक की अधिक स्पीड नहीं थी। वह 50 किमी की रफ्तार से चल रहा था। कोर्ट ने कहा लापरवाह पूर्ण ड्राइविंग को हमेशा तेज रफ्तार से जोड़ा नहीं जा सकता।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की खंडपीठ ने डा अनूप कुमार भट्टाचार्य (मुकदमे के दौरान मृत) व लीना भट्टाचार्य की अपील पर दिया है। अवार्ड के खिलाफ़ दाखिल अपील में अपीलार्थी का कहना था कि ट्रक ड्राइवर घोर लापरवाही से ट्रक चला रहा था और वह बीमित था। ऐसे में बीमा कंपनी को उचित मुआवजे का भुगतान करना चाहिए।

बीमा कंपनी का कहना था कि एक चश्मदीद ने ट्रक का कुछ दूर तक पीछा भी किया। रफ़्तार 50 किमी. ही थी। अधिक रफ्तार नहीं थी। अधिकरण ने दो लाख 30 हजार 400 रुपये आठ फीसदी ब्याज सहित मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया था। मामले के तथ्यों के अनुसार 20 जुलाई 2004 को अभिषेक की दिल्ली-रायबरेली सड़क पर दुर्घटना में मौत हो गई। जिसके कारण मुआवजे का दावा किया गया था।

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