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दिशोम जाहेर गाढ़ बालीगुमा की ओर से दिशोम बाहा मिलन समारोह का आयोजन किया गया

दिशोम जाहेर गाढ़ बालीगुमा की ओर से दिशोम बाहा मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि धाड़ दिशोम देश परगना बैजू मुर्मू विशिष्ट अतिथि मरांग बुरु सावंता सुसार बैसी गिरिडीह के सिकंदर हेम्ब्रम, दुर्गा प्रसाद मुर्मू, सुरेंद्र टुडू, बीजीत मुर्मू, नूनका टूडू आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्राप्त दुर्गा प्रसाद मुरमू को साल ओढ़कर तथा सरहाव सकाम से सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि बैजू मुर्मू ने कहा कि अपना समाज और संस्कृति बचाए रखने के लिए इस तरह का आयोजन सराहनीय प्रयास है। आदिवासियों का संस्कृति अमूल्य रत्न है। मानव समाज को दिशा देने के लिए सबसे कारगर उदाहरण आदिवासी संस्कृति ही है ।विकास के नाम पर पर्यावरण को जीता नहीं जा सकता। दुष्परिणाम से मानव शृष्टि ही संकट में पड़ सकता है। सिकंदर हेंब्रम ने कहा कि मरांग बुरू जुग जाहेर आदिवासियों का संगठित प्रयास से आज पुनर्जीवित हो पाया है। हमारा सामूहिक संस्कृति प्रयास से हमारा धर्म और संस्कृति को मजबूती प्रदान की जा सकती है।सरकार किसी भी तरह से हमारा धार्मिक स्थान को छेड़छाड़ करने से आवाज आनी चाहिए इस अवसर पर दुर्गा प्रसाद मुर्मू ने कहा कि आदिवासी संस्कृति परंपरा को बचाए रखने के लिए हमने अपने जीवन को समर्पित कर दिया यह सम्मानित आदिवासियों के लिए गर्व की बात है अभिजीत मुर्मू ने कहा कि आसाम में भी आदिवासी समुदाय अपने धर्म संस्कृति के लिए संघर्ष जोरो से है हमें अपने संस्कृति के महत्व को समझने की जरूरत है
आदिवासी सृष्टि से संबंधित बिल्ली चूहा डंपर जो बूढ़े मरांग बुरु आदि की झांकियां आकर्षक एवं लोगों का मन मोह लिया। इस अवसर पर दिशोम जाहेर गाढ़ समिति गोड़गोड़ाबालीगुमा के अध्यक्ष फतेहचंद टुडे सचिव मदन मोहन सोरेन,माझी बाबा रमेश मुर्मू, नायके बाबा मोहन हांसदा, सुकलाल टूडू, सनातन टुडू, लुगू हांसदा,पप्पू सोरेन, राखल सोरेन, मोतीलाल सोरेन, भगीरथ सोरेन, घासीराम मुर्मू, सुशील हांसदा, सुकलाल हांसदा आदि लोगों का सराहनीय प्रयास रहा।

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