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कृष्ण और सुदामा की मित्रता बेमिसाल : केशवाचार्य महाराज

जमशेदपुर : बर्मामाइंस के कैरेज कालोनी में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के सातवे दिन बिहार के घरवासडीह मठ के मठाधीश नारायनाचार्य एवं उनके शिष्य महंत स्वामी केशवाचार्य ने व्यासपीठ से अलग अलग प्रसंग पर भागवत कथा का वर्णन किया। स्वामी नारायनाचार्य ने भागवत कथा का महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही कहा कि व्यास जी ने अनेकों पुराण की रचना की। लेकिन उन्हें शांति नहीं मिली। ब्रह्मा जी के निर्देश पर उन्होंने अपनी 18 वीं रचना में श्रीमद्व भागवत की रचना की तब उन्हें शांति मिली।

कृष्ण सुदामा की मित्रता बेमिसाल- केशवाचार्य
महाराज ने कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे, लेकिन आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। उन्होंने श्रोताओं से अच्छे एवं सच्चे मित्र की परख करने की बात कही।

ये लोग पहुंचे कथा सुनने जेएनएसी के पूर्व हेल्थ ऑफिसर डीके पांडेय,
कांग्रेस जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे, त्रिपाठी, आजसू नेता कमलेश दुबे, डॉक्टर अंगद तिवारी, दिलीप ओझा, जनार्दन पांडे, विजय पांडे, धनंजय उपाध्याय, डॉक्टर नंदन पांडे, मनोज तिवारी, कमलेश उपाध्याय, कई गणमान्य कथा सुनने पहुंचे। इस दौरान सभी ने महंत केशवाचार्य से आशीर्वाद लिया। आयोजन को सफल बनाने में महेंद्र कुमार पांडेय, भोला पांडेय, प्रभूनारायण पांडेय, निरज पांडेय, जगनारायण पांडे समेत अन्य का सफल योगदान रहा।

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