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अल्पसंख्यकों की भाषा संस्कृति की रक्षा करे सरकार : शैलेंद्र

जमशेदपुर। झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को एक ज्ञापन सौंपकर अन्य भाषाओं की तरह गुरुमुखी भाषा को राज्य स्तर पर मानता देने की मांग की है और कहा कि भाषाई एवं धार्मिक अल्पसंख्यक की भाषा साहित्य एवं विरासत की रक्षा का दायित्व सरकार पर होता है। भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के कई अधिकार वर्णित है और इसका संरक्षण एवं संवर्धन करने का दायित्व राज्य अर्थात सरकार का होता है।
झारखंड में जमशेदपुर रांची बोकारो धनबाद में बड़ी संख्या में सिख और पंजाबी भाषी हिंदू धर्मावलंबी निवास करते हैं। जिनकी मातृभाषा पंजाबी है और इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए झारखंड राज्य निर्माण के 22 साल बाद भी कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं।
सिख एवं हिंदू बिरादरी के कई परिवारों का अब पंजाब से किसी तरह का कोई संबंध भी नहीं रह गया और पिछली तीन पीढ़ियों से झारखंड में अपना योगदान दे रहे हैं।
राज्य की हेमंत सरकार को इस अल्पसंख्यक पर भी ध्यान देना चाहिए और जिलावार सरकारी नियुक्ति में पंजाबी भाषा को भी स्थान दिया जाना चाहिए। जिससे पंजाबी भाषा परिवार भी राज्य एवं समाज के विकास में अपनी भूमिका अच्छी तरह से निर्वहन कर सके।
शैलेंद्र सिंह के अनुसार उनका सिख समाज एवं पंजाबी हिंदू बिरादरी समाज स्थानीय जनजातियों के उत्थान को लेकर कोई सवाल नहीं खड़े कर रहा है। झारखंड अलग राज्य का निर्माण आदिवासी संस्कृति एवं पहचान के सवाल पर हुआ है और उसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। लेकिन जिन अल्पसंख्यक भाषा भाषी का अस्तित्व एवं अस्मिता झारखंड राज्य के साथ जुड़ा हुआ है । उनकी चिंता भी सरकार एवं जनजाति लोगों एवं उनके नेतृत्व के द्वारा की जानी चाहिए।
शैलेंद्र सिंह ने कहा कि जल्द ही सिख एवं पंजाबी बिरादरी का एक प्रतिनिधिमंडल माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं महामहिम राज्यपाल से मिलेगा और संवैधानिक दायित्व की पूर्ति करने का आग्रह भी करेगा। समाज का प्रतिनिधिमंडल जनजातीय समाज के नेताओं के साथ ही जनप्रतिनिधियों से भी मिलेगा और उन्हें सिख एवं पंजाबी हिंदू बिरादरी की चिंता से अवगत भी करवाएगा। मुख्यमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन की एक प्रतिलिपि झारखंड सरकार के राज्यपाल एवं शिक्षा मंत्री तथा जिला उपायुक्त सूरज कुमार को भी सौंपी गई है। इसके अलावा सरदार शैलेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर अन्य भाषाओं की तरह गुरुमुखी भाषा को राज्य सरकार के स्तर पर मान्यता प्रदान करने का अनुरोध किया है।

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