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जब चार कंधो पर लेटकर …

राम_नाम सत्य है,,, राम_नाम सत्य है,,,,,
सत्य_बोलो मुक्ति है,,राम नाम सत्य है,,,

जब चार कंधों पर लेटकर, जिंदगी करने लगी आराम।
उठाने वाले गर्व से बोले राम_ नाम राम_ नाम।।

राम नाम की माया से बचना सका कौय।
राजा रंक फकीर सब अंत में गए सोय।।

अंत में गए सोय, फिर भी इठला रहा मानव।
इतना नाटक तो खुद ना किया रावण जैसे दानव ने।।

दानव रावण ने किया जीवन भर मृत्युंजय का जॉप।
फिर भी प्रभु श्री राम ने किया अंत में काम_तमाम।।

अंत में काम ना आई यह जिंदगी की सच्चाई।
साथ में तो साथ ना निभा पाई सात जन्मवाली लुगाई।।

लुगाई सिर्फ बहायगी आंसू लेटोगे जब शैय्या पर।
यही वफादारी लूटायेगी अंत में वह सैय्या पर।

सैय्या जी का प्यार दफन मृत्यु की आगोश में।
भ्रष्ट बेईमानी मूर्ख प्राणी ना आ रहे फिर भी होश में।।

ना आ रहे फिर भी होश में, जब कर रहे मनमनी।
कैसी जोकर वाली जिंदगी लग रही अनंत फनंत_ में।।

अंनत_फनंत में है खब यहां जिओ आनंद संग में।
अंतिम सांस ही ले डूबेगी जिंदगी के सारे रंग में।।

राम_नाम सत्य है,, राम_नाम सत्य है,,
सत्य बोलो मुक्ति है,,,, सत्य ही सत्य है!!

समाज को नई दिशा
देने का हमारा संकल्प
नई उर्जा का आरंभ
लेखिका लक्ष्मी सिन्हा
पटना बिहार

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