कार्तिक अमावस्या पर पड़ रही है दिवाली और नरक चतुर्दशी – बेहद शुभ होगा यह संयोग
दिवाली हिंदू धर्म में विश्वास करने वाले लोगों के लिए एक बेहद शुभ और महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। रोशनी से जगमगाता यह पर्व प्रत्येक वर्ष बेहद ही धूमधाम के साथ पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। दिवाली से 1 दिन पहले नरक चतुर्दशी या जिसे बहुत सी जगहों पर नरक चौदस के नाम से जानते हैं मनाया जाता है। हालांकि वर्ष 2021 में दिवाली और नरक चतुर्दशी एक ही दिन यानी कार्तिक अमावस्या के दिन पड़ रही है। ऐसे में स्वाभाविक है इसका कुछ महत्व तो अवश्य होगा, अपने इस विशेष आर्टिकल में हम जानेंगे कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली और नरक चतुर्दशी पड़ने का महत्व क्या है। साथ ही जानेंगे कि इस दिन के शुभ फल प्राप्त करने के उपाय और राशिनुसार दान की जानकारी।
*कार्तिक अमावस्या के दिन नरक चतुर्दशी और दिवाली*
हिंदू पंचांग के अनुसार कोई भी तिथि जो सूर्योदय के साथ शुरू होती है उसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष 4 नवंबर को 2 गुना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इस दिन की शुरुआत होगी काली चौदस के साथ और इस दिन का अंत होगा लक्ष्मी पूजा के साथ। स्वभाविक है एक ही दिन में यह दो महत्वपूर्ण त्योहारों का पड़ना इस दिन के महत्व को 2 गुना बढ़ा देगा। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार सुबह की तिथि चतुर्दशी होगी और जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता जाएगा 4 नवंबर 2021 का दिन कृष्ण पक्ष यानी अमावस्या की पांचवी तिथि में परिवर्तित हो जाएगा और इस दौरान दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा।
इस वर्ष दिवाली की रोशनी केवल हमारे वातावरण को ही नहीं बल्कि हमारे जीवन को रोशन कर देगी क्योंकि इस पर्व की रौशनी से हमारे जीवन की नकारात्मकता और बुराई दूर होगी। यह दिन ब्रह्मांड की यिंग और यांग ऊर्जा को भी चिन्हित करता है जिससे आप अपने रिश्ते में समानता और शक्ति प्राप्त करेंगे। इस दिन सुबह की जाने वाली पूजा में और शाम को की जाने वाली पूजा और ध्यान से हमारे आपके जीवन में प्रभावशाली परिवर्तन देखने को मिलेंगे। इसके अलावा इस दिन की विधिवत पूजा अर्चना करने से आप अगले साल भर के लिए समृद्धि और खुशियों को अपने जीवन में प्राप्त कर सकेंगे।
*रोशनी से जगमगाता दिवाली का त्यौहार: जानें इसका महत्व*
रोशनी का यह त्योहार दिवाली हिंदू कैलेंडर के आठवें महीने यानी, हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में उल्लेखित है। कहा जाता है जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपने राज्य लौटे थे तो उनका लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया था और पूरे राज्य को दीयों की रोशनी से सजाकर प्रभु श्री राम, उनके भाई लक्ष्मण, और माता सीता का स्वागत किया था।
रोशनी का यह पर्व अंधकार और बुराई के अंत का भी प्रतीक माना गया है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री राम अहंकारी रावण को हराने के बाद वापस अपने राज्य लौटे थे। ऐसे में इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है। इसके अलावा दिवाली के त्योहार के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस रात भगवान गणेश अपनी पत्नी देवी लक्ष्मी के साथ स्वयं पृथ्वी पर आते हैं और जो कोई व्यक्ति इस दिन सही विधि से पूजा करता है उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यही वजह है कि देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए लोग दिवाली की रात विधिवत रूप से पूजा अर्चना करते हैं।
इसके अलावा दिवाली के त्योहार का एक महत्व भी माना जाता है कि इस पर्व नई फसल का मौसम शुरू हो जाता है जिसे समृद्धि का और संपन्नता का प्रतीक माना गया है। ऐसे में इस शुभ दिन पर कड़ी मेहनत और श्रम करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यह सभी बातें दिवाली के त्योहार के महत्व को बढ़ा देती हैं।
*दिवाली 2021 पूजा मुहूर्त*
4 नवंबर, 2021 (गुरुवार)
*लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :* 18:10:29 से 20:06:20 तक
अवधि :1 घंटे 55 मिनट
*प्रदोष काल :* 17:34:09 से 20:10:27 तक
*वृषभ काल* :18:10:29 से 20:06:20 तक
*दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त*
*लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :* 23:38:51 से 24:30:56 तक
अवधि :0 घंटे 52 मिनट
*महानिशीथ काल :* 23:38:51 से 24:30:56 तक
सिंह काल :24:42:02 से 26:59:42 तक
*दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त*
प्रातःकाल मुहूर्त्त (शुभ):06:34:53 से 07:57:17 तक
प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत):10:42:06 से 14:49:20 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल):16:11:45 से 20:49:31 तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ):24:04:53 से 25:42:34 तक
*नरक चतुर्दशी: मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का दिन*
नरक चतुर्दशी दिवाली से 1 दिन पहले मनाई जाती है और इसे भी एक बेहद शुभ अवसर माना गया है। नरक चतुर्दशी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन पड़ती है इसे बहुत सी जगहों पर काली चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि असुर नरकासुर को भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मार दिया था और फिर उसकी कैद से सोलह हज़ार स्त्रियों को आजाद कराया था।
ऐसे में यह पर्व पति और पत्नी के बीच नारीवाद और समानता की ताकत का प्रतीक माना गया है। इस दिन शक्ति की देवी माँ काली की पूजा का भी विधान बताया गया है। साथ ही अपने जीवन से किसी भी ऐसी बुरी आदत जो आपके लिए नर्क जाने की वजह बन सके उसे छोड़ने के लिए इस दिन की पूजा करना बेहद ही उत्तम रहता है।
यह दिन अभ्यंग स्नान के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक तथ्यों के अनुसार इस दिन जो लोग चंद्रमा की उपस्थिति में लेकिन चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान करते हैं मृत्यु के बाद उन्हें स्वर्ग नसीब होता है। अभ्यंग स्नान स्नान का एक विशेष रूप होता है जिसमें लोग अपने पूरे शरीर में तिल के तेल से शरीर की मालिश करते हैं और फिर, उसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा (औधषीय पौधा) स्नान के जल में मिलाकर उससे स्नान करते हैं।
इसके अलावा अपने जीवन से नज़र और बुराई को दूर रखने के लिए बहुत से लोग इस त्यौहार के दिन काजल आंखों में लगाते हैं। इसके अलावा बहुत से लोग इस दिन अपनी कुलदेवी की पूजा करते हैं और कुछ लोग अपने जीवन में सुख समृद्धि और अपने घर परिवार के लोगों की सुरक्षा के लिए अपने पितरों की पूजा भी करते हैं। नरक चतुर्दशी का यह त्योहार भारत के कुछ हिस्सों जैसे कि दक्षिण भारत, गोवा, कर्नाटक, और तमिलनाडु में मनाया जाता है और इसी दिन को दीपावली माना जाता है।
नरक चतुर्दशी 2021 मुहूर्त
अभ्यंग स्नान समय :06:06:05 से 06:34:53 तक
*शुभ संयोग वाले इस दिन का प्रभाव बढ़ाने के लिए अपनाएं ये उपाय*
माँ लक्ष्मी की कृपा आपके जीवन में बनी रहे और वह आपके घर में आयें इसके लिए अपने बेडरूम और पूजा रूम में हल्की चंदन की अगरबत्ती जलाएं या चंदन की धूप भी जला सकते हैं।
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े और मुमकिन हो तो नए वस्त्र धारण करें।
प्रार्थना करते समय धनिया के बीज को एक कटोरी में रखें और पूजा के बाद उन्हें अपने बगीचे या फिर किसी गमले में बो दें। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि और बहुतायत बनी रहेगी।
समृद्धि प्राप्त करने के लिए इस दिन की पूजा में मां लक्ष्मी को कमल का फूल अवश्य अर्पित करें।
अपने मंदिर में दिनभर घी का दीपक जलाएं और साफ करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक अवश्य चलाएं।
अवधि :0 घंटे 28 मिनट
*इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए राशि अनुसार करें इन चीजों का दान*
*मेष राशि* के जातक गेहूं का दान करें।
*वृषभ राशि* के जातक अनार का दान करें।
*मिथुन राशि* के जातक दूध का दान करें।
*कर्क राशि* के जातक पत्तेदार सब्जियों का दान करें।
*सिंह राशि* के जातक चीनी का दान करें।
*कन्या राशि* के जातक गुड़ का दान करें।
*तुला राशि* के जातक कपड़ों का दान करें।
*वृश्चिक राशि* के जातक चूड़ियों/श्रृंगार के सामान का दान करें।
*धनु राशि* के जातक बेसन के लड्डू का दान करें।
*मकर राशि* के जातक खीर का दान करें।
*कुंभ राशि* के जातक सरसों के तेल का दान करें।
*मीन राशि* के जातक कंबल का दान करें।
प्रस्तुत ः ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश पाठक
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