राजेश कुमार झा
नई । दिल्ली कई मायनों में अहम है सिडनी से पीएम मोदी का संदेश. पीएम नरेन्द्र मोदी का 4 दिनों का विदेश दौरा सही मायने में ऐतिहासिक रहा. हिरोशिमा में भारत का डंका बजा कर आए तो दक्षिण प्रशांत महासागर के छोटे छोटे देशों को ये भरोसा भी दिया की भारत हर कदम पर उनके साथ है. ऑस्ट्रेलिया ने तो मानो पीएम मोदी के स्वागत में पलकें बिछा रखीं थी. एक अरसे से भारतीय समुदाय उनके स्वागत की तैयारियों में लगा था लेकिन पीएम एंटनी अल्बनीस का जोश देखते ही बनता था. ये उन अलगाववादी तत्वों को एक बड़ा संदेश था जो ऑस्ट्रेलिया की धरती को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया के पीएम का रुख साबित कर गया कि वो भारत की दोस्ती को कितनी अहमियत देते हैं.
अपनी यात्रा के आखिरी चरण में पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे. बैठकों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था लेकिन वहां के भारतीय समुदाय को इंतजार था पीएम मोदी के सिडनी संदेश का. ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय समुदाय के लोगों ने पीएम मोदी के स्वागत की पूरी तैयारी कर रखी थी. पीएम मोदी के साथ वहां पहुंचे ऑस्ट्रलियाई पीएम अल्बनीस का जोश तो देखते ही बनता था. उन्होने न सिर्फ मोदी को बॉस बताया बल्कि अपनी बातों से दुनिया को ये संदेश भी दे दिया कि क्वाड से अलग भारत की दोस्ती दोनो देशों के लिए कितनी जरुरी है.
एक समय था जब कहा जाता था कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को ‘3 C’ define करते हैं- Commonwealth, Cricket और Curry. इसके बाद कहा गया कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंध ‘3 D’ पर आधारित हैं- Democracy, Diaspora और Dosti. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंध ‘3 E’ पर आधारित हैं- Energy, Economy, और Education. लेकिन सच्चाई यह है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों की वास्तविक गहराई इन C, D, E से परे है.. इस रिश्ते की सबसे मजबूत और सबसे बड़ी नींव वास्तव में Mutual Trust और Mutual Respect है जिसकी असली वजह हैं ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला हर एक भारतीय. इसकी असली वजह हैं- ऑस्ट्रेलिया के ढाई करोड़ से ज्यादा नागरिक. .हमारी जीवनशैलियां भले अलग-अलग हों लेकिन अब योग भी हमें जोड़ता है. क्रिकेट से तो हम ना जाने कबसे जुड़े हुए हैं. लेकिन अब टेनिस और फिल्में भी हमें जोड़ रही हैं. हमारे बीच भौगोलिक दूरी जरूर है लेकिन हिंद महासागर हमें आपस में जोड़ता है.
नंबर वन इंडिया
भारत के पास सामर्थ्य की कमी नहीं है, भारत के पास संसाधनों की कमी भी नहीं है. आज दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे युवा टैलेंट फैक्ट्री जिस देश में है वो इंडिया है. पीएम ने कोरोनना से लेकर, कृषि, स्टार्टअप से लेकर मोबाईल फोन तक में भारत एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन चुका है. 25 साल में विकसित भारत का सपना लेकर मोदी सरकार चल रही है. पिछले 9 सालों में भारत ने काफी तरक्की की है. हमने गरीब लोगों के लिए करीब 50 करोड़ बैंक खाते खोले हैं. इतना ही नहीं, दरअसल भारत में पब्लिक डिलीवरी का पूरा इको-सिस्टम ही बदल गया है. 2014 से, 28 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित की गई है. JAM ट्रिनिटी और DBT ने देश में एक क्रांति ला दी है. इसलिए आज IMF भारत को Global Economy का bright spot मानता है. वर्ल्ड बैंक का विश्वास है कि global headwinds को अगर कोई चुनौती दे रहा है तो वो भारत है.
वसुधैव कुटुंबकम
भारत हज़ारों वर्षों की जीवंत सभ्यता है. भारत, Mother of Democracy है. हमने समय के अनुसार खुद को ढाला है, लेकिन अपने मूल सिद्धांतों पर, पर हमेशा टिके रहे हैं. हम राष्ट्र को भी एक परिवार के रूप में देखते हैं और विश्व को भी एक परिवार मानते हैं. जब भारत अपनी G-20 Presidency की थीम तय करता है, तो कहता है- One Earth, One Family, One Future. जब भारत, पर्यावरण की रक्षा के लिए, solar energy के बड़े लक्ष्य तय करता है, तो कहता है- One Sun, One World, One Grid. जब भारत वैश्विक समुदाय के स्वस्थ रहने की कामना करता है तो कहता है- One Earth, One Health. पीएम मोदी का संदेश यही था कि भारत, अपने हितों को सबके हितों से जोड़कर देखता है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास- ये हमारी डोमेस्टिक गवनेंस का भी आधार है और ग्लोबल गवर्नेस के लिए भी यही विजन है.
फोर्स ऑफ ग्लोबल गुड है बना भारत
पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय को बताया कि आज भारत को Force of global good कहा जा रहा है. जहां कहीं भी कोई आपदा होती है, भारत मदद के लिए तैयार मिलता है. अभी हाल ही में जब तुर्किए में भूकंप ने तबाही मचाई, तब भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के द्वारा मदद का हाथ बढ़ाया. पीएम ने इंडियन डायस्पोरा को ये याद दिलाते हुए कहा कि आपके पास प्रतिभा, कौशल और सांस्कृतिक मूल्य हैं..ये मूल्य आस्ट्रेलियाई लोगों के साथ आपके बोंड को मजबूत करते हैं. पापुआ न्यू गिनी में ‘थिरुकुराल’ का अनुवादित संस्करण इस बात का उदाहरण है कि कैसे कोई विदेशी राष्ट्र में रहते हुए भी अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ा रहता है.
ब्रिस्बेन में भारत का नया कॉन्सुलेट खोला जाएगा
पीएम ने ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीयों से अपील करते हुए कहा कि वो जब भी भारत आएं, अपने साथ कोई न कोई ऑस्ट्रेलियाई मित्र या उनके परिवार को साथ लेकर आएं. इससे उन्हें भारत को जानने और समझने का मौका मिलेगा. ऐसा नहीं है, हम सिर्फ सुख के साथी हैं. अच्छा दोस्त सुख का साथी तो होता ही है, दुख का भी साथी होता है. पिछले साल जब शेन वॉर्न का निधन हुआ, तो भारतीयों ने भी शोक मनाया. ये ऐसा था कि हमने अपना कोई खो दिया हो. हैरिश पार्क में चाट, जयपुर स्ट्रीट की जलेबी, उसका तो कोई जवाब ही नहीं है. आप कभी मेरे मित्र एंथनी अल्बनीस को वहां ले जाएं. जब खाने की बात चली है, तो लखनऊ का नाम आना स्वाभाविक है. मुझे पता चला है कि सिडनी के पास लखनऊ के नाम की जगह है, लेकिन मुझे ये नहीं पता कि वहां चाट मिलती है या नहीं.. अंत में पीएम ने ये ऐलान भी किया कि ब्रिस्बेन में भारत का नया कॉन्सुलेट खोला जाएगा. इसकी मांग काफी समय से की जा रही थी, जिसके बाद यह फैसला किया गया है. इसमें कोई संदेह नहीं कि 4 दिन, तीन देश और 40 से ज्यादा बैठकें कोई आसान काम नहीं होता. लेकिन एक बात तो साफ है कि बिना थके और बिना रुके पीएम मोदी दुनिया भर में भारत को एक ब्रांड बनाने की मुहिम में सफल होते नजर आ रहे हैं.
पीएम नरेन्द्र मोदी का 4 दिनों का विदेश दौरा सही मायने में ऐतिहासिक रहा. हिरोशिमा में भारत का डंका बजा कर आए तो दक्षिण प्रशांत महासागर के छोटे छोटे देशों को ये भरोसा भी दिया की भारत हर कदम पर उनके साथ है. ऑस्ट्रेलिया ने तो मानो पीएम मोदी के स्वागत में पलकें बिछा रखीं थी. एक अरसे से भारतीय समुदाय उनके स्वागत की तैयारियों में लगा था लेकिन पीएम एंटनी अल्बनीस का जोश देखते ही बनता था. ये उन अलगाववादी तत्वों को एक बड़ा संदेश था जो ऑस्ट्रेलिया की धरती को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया के पीएम का रुख साबित कर गया कि वो भारत की दोस्ती को कितनी अहमियत देते हैं.
अपनी यात्रा के आखिरी चरण में पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे. बैठकों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था लेकिन वहां के भारतीय समुदाय को इंतजार था पीएम मोदी के सिडनी संदेश का. ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय समुदाय के लोगों ने पीएम मोदी के स्वागत की पूरी तैयारी कर रखी थी. पीएम मोदी के साथ वहां पहुंचे ऑस्ट्रलियाई पीएम अल्बनीस का जोश तो देखते ही बनता था. उन्होने न सिर्फ मोदी को बॉस बताया बल्कि अपनी बातों से दुनिया को ये संदेश भी दे दिया कि क्वाड से अलग भारत की दोस्ती दोनो देशों के लिए कितनी जरुरी है.
एक समय था जब कहा जाता था कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को ‘3 C’ define करते हैं- Commonwealth, Cricket और Curry. इसके बाद कहा गया कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंध ‘3 D’ पर आधारित हैं- Democracy, Diaspora और Dosti. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंध ‘3 E’ पर आधारित हैं- Energy, Economy, और Education. लेकिन सच्चाई यह है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों की वास्तविक गहराई इन C, D, E से परे है.. इस रिश्ते की सबसे मजबूत और सबसे बड़ी नींव वास्तव में Mutual Trust और Mutual Respect है जिसकी असली वजह हैं ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला हर एक भारतीय. इसकी असली वजह हैं- ऑस्ट्रेलिया के ढाई करोड़ से ज्यादा नागरिक. .हमारी जीवनशैलियां भले अलग-अलग हों लेकिन अब योग भी हमें जोड़ता है. क्रिकेट से तो हम ना जाने कबसे जुड़े हुए हैं. लेकिन अब टेनिस और फिल्में भी हमें जोड़ रही हैं. हमारे बीच भौगोलिक दूरी जरूर है लेकिन हिंद महासागर हमें आपस में जोड़ता है.
नंबर वन इंडिया
भारत के पास सामर्थ्य की कमी नहीं है, भारत के पास संसाधनों की कमी भी नहीं है. आज दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे युवा टैलेंट फैक्ट्री जिस देश में है वो इंडिया है. पीएम ने कोरोनना से लेकर, कृषि, स्टार्टअप से लेकर मोबाईल फोन तक में भारत एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन चुका है. 25 साल में विकसित भारत का सपना लेकर मोदी सरकार चल रही है. पिछले 9 सालों में भारत ने काफी तरक्की की है. हमने गरीब लोगों के लिए करीब 50 करोड़ बैंक खाते खोले हैं. इतना ही नहीं, दरअसल भारत में पब्लिक डिलीवरी का पूरा इको-सिस्टम ही बदल गया है. 2014 से, 28 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित की गई है. JAM ट्रिनिटी और DBT ने देश में एक क्रांति ला दी है. इसलिए आज IMF भारत को Global Economy का bright spot मानता है. वर्ल्ड बैंक का विश्वास है कि global headwinds को अगर कोई चुनौती दे रहा है तो वो भारत है.
वसुधैव कुटुंबकम
भारत हज़ारों वर्षों की जीवंत सभ्यता है. भारत, Mother of Democracy है. हमने समय के अनुसार खुद को ढाला है, लेकिन अपने मूल सिद्धांतों पर, पर हमेशा टिके रहे हैं. हम राष्ट्र को भी एक परिवार के रूप में देखते हैं और विश्व को भी एक परिवार मानते हैं. जब भारत अपनी G-20 Presidency की थीम तय करता है, तो कहता है- One Earth, One Family, One Future. जब भारत, पर्यावरण की रक्षा के लिए, solar energy के बड़े लक्ष्य तय करता है, तो कहता है- One Sun, One World, One Grid. जब भारत वैश्विक समुदाय के स्वस्थ रहने की कामना करता है तो कहता है- One Earth, One Health. पीएम मोदी का संदेश यही था कि भारत, अपने हितों को सबके हितों से जोड़कर देखता है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास- ये हमारी डोमेस्टिक गवनेंस का भी आधार है और ग्लोबल गवर्नेस के लिए भी यही विजन है.
फोर्स ऑफ ग्लोबल गुड है बना भारत
पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय को बताया कि आज भारत को Force of global good कहा जा रहा है. जहां कहीं भी कोई आपदा होती है, भारत मदद के लिए तैयार मिलता है. अभी हाल ही में जब तुर्किए में भूकंप ने तबाही मचाई, तब भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के द्वारा मदद का हाथ बढ़ाया. पीएम ने इंडियन डायस्पोरा को ये याद दिलाते हुए कहा कि आपके पास प्रतिभा, कौशल और सांस्कृतिक मूल्य हैं..ये मूल्य आस्ट्रेलियाई लोगों के साथ आपके बोंड को मजबूत करते हैं. पापुआ न्यू गिनी में ‘थिरुकुराल’ का अनुवादित संस्करण इस बात का उदाहरण है कि कैसे कोई विदेशी राष्ट्र में रहते हुए भी अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ा रहता है.
ब्रिस्बेन में भारत का नया कॉन्सुलेट खोला जाएगा
पीएम ने ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीयों से अपील करते हुए कहा कि वो जब भी भारत आएं, अपने साथ कोई न कोई ऑस्ट्रेलियाई मित्र या उनके परिवार को साथ लेकर आएं. इससे उन्हें भारत को जानने और समझने का मौका मिलेगा. ऐसा नहीं है, हम सिर्फ सुख के साथी हैं. अच्छा दोस्त सुख का साथी तो होता ही है, दुख का भी साथी होता है. पिछले साल जब शेन वॉर्न का निधन हुआ, तो भारतीयों ने भी शोक मनाया. ये ऐसा था कि हमने अपना कोई खो दिया हो. हैरिश पार्क में चाट, जयपुर स्ट्रीट की जलेबी, उसका तो कोई जवाब ही नहीं है. आप कभी मेरे मित्र एंथनी अल्बनीस को वहां ले जाएं. जब खाने की बात चली है, तो लखनऊ का नाम आना स्वाभाविक है. मुझे पता चला है कि सिडनी के पास लखनऊ के नाम की जगह है, लेकिन मुझे ये नहीं पता कि वहां चाट मिलती है या नहीं.. अंत में पीएम ने ये ऐलान भी किया कि ब्रिस्बेन में भारत का नया कॉन्सुलेट खोला जाएगा. इसकी मांग काफी समय से की जा रही थी, जिसके बाद यह फैसला किया गया है. इसमें कोई संदेह नहीं कि 4 दिन, तीन देश और 40 से ज्यादा बैठकें कोई आसान काम नहीं होता. लेकिन एक बात तो साफ है कि बिना थके और बिना रुके पीएम मोदी दुनिया भर में भारत को एक ब्रांड बनाने की मुहिम में सफल होते नजर आ रहे हैं.