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सरायकेला : आवंटन के बाद भी गम्हरिया के शिक्षकों को महीने की आखिरी तारीख तक वेतन भुगतान नहीं

प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी दे रहे हैं चुनाव कार्य में व्यस्तता का हवाला, शिक्षकों का सवाल-वे भी तो पठन-पाठन के साथ कर रहें चुनाव कार्य

जमशेदपुर : यूं तो हर साल अप्रैल के महीने में शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिये आवंटन में थोड़ा विलंब होता है। इसकी वजह 31 मार्च तक पिछले वित्तीय वर्ष के सारे फंड सरकार को सरेंडर कर दिया जाना है। उसके बाद फिर से बजट आवंटन होता है. इस बार भी नियमानुसार कुछ ऐसा ही हुआ है। बावजूद इसके सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के शिक्षकों की बात करें तो अप्रैल महीने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल तक इन शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है। शिक्षकों की मानें तो इसके लिये सरकार और जिला प्रशासन कहीं से जिम्मेवार नहीं है, क्योंकि उनके वेतन का आवंटन बीते 13 से 14 अप्रैल तक ही विभाग को आवंटित कर दिया गया है। बावजूद इसके गम्हरिया प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सह वेतन भुगतान, निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी खुद को पंचायत चुनाव से जुड़े कार्यों में व्यस्तता का हवाला देते हुये शिक्षकों के वेतन भुगतान में विलंब कर रहे हैं। उनके मुताबिक चुनाव कार्यों में अंतर्लिप्तता एवं शिक्षकों का बहुतेरे रिर्पोर्टस का ऑनलाइन समिसन करने की बात कहते हुये वे इस कदर व्यस्तता जता रहे हैं कि शिक्षकों के वेतन भुगतान का विपत्र ही अब तक समर्पित नहीं किया गया है। इस बीच वेतन से वंचित शिक्षकों ने भी सवाल करना शुरु कर दिया है कि वे भी तो विद्यालय से जुड़े सारे दैनिक कार्यों के अलावा पंचायत चुनाव के कार्यों में व्यस्त हैं, ऐसे में राशि आवंटित हो जाने के बाद भी महीने की आखिरी तारीख तक वेतन का भुगतान नहीं कर उन्हें किस गुनाह की सजा दी जा रही है। वेतन भुगतान से वंचित गम्हरिया प्रखंड के शिक्षकों का हाल यह हो गया है कि महंगाई के इस दौर में उन्हें घर चलाना और बच्चों की पढ़ाई का खर्च संभालना मुश्किल हो गया है। उनका यह भी आरोप है कि प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सह निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी जान-बूझकर शिक्षकों को सबक सीखाने की नीयत से उनके वेतन भुगतान में विलंब करने में लगे हुये हैं। मामले को कहीं न कहीं आदिवासी शिक्षिका राधी पूर्ति की प्रताड़ना के मामले से भी जोड़कर अब शिक्षक देखने पर मजबूर हो गये हैं. उस मामले में पीड़ित शिक्षिका के आरोपों के घेरे में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ही रहे हैं। उनका शिक्षकों ने संघ के बैनर तले एकजुट होकर पुरजोर विरोध किया था। शिक्षकों का आरोप है कि उस प्रकरण के बाद ही शिक्षा प्रसार पदाधिकारी हर बार शिक्षकों का सबक सीखाने की तलाश में रहते हैं।।उनका कहना है कि इस बार भी वेतन भुगतान के मामले में उनके खिलाफ वही रवैया अपनाया जा रहा है, जबकि नियम की बात करें तो सरायकेला-खरसावां जिले के उपायुक्त के निर्देश के मुताबिक हर महीने की 5 से 7 तारीख तक सरकारी शिक्षकों का वेतन भुगतान हर हाल में कर दिया जाना है। ऐसा नहीं होने पर उस महीने का प्रखंड शिक्षा प्रसार सह निकासी एवं व्ययन पदाधकारी का भी वेतन भुगतान तब तक नहीं हो सकता है, जब तक शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया हो। फिर भी सारे नियमों को ताक पर रखकर शिक्षकों का अब तक वेतन भुगतान नहीं किया गया है। वह भी तब जब शिक्षक विद्यालय के हर कार्य के साथ चुनावी कार्य करने में भी व्यस्त हैं। इससे प्रखंड के सरकारी शिक्षकों में भारी नाराजगी का माहौल है।

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