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विधायक सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री पर साधा निशाना। लिखा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र कहा भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामले में संलिप्त पर करे कार्यवाही वरना अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।

जमशेदपुर। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र और कहा ।आपके नेतृत्व में झारखंड सरकार बने दो वर्ष हो गये। इस अवधि में मैंने भ्रष्टाचार के कतिपय गंभीर मुद्दों के बारे में ठोस प्रमाण देकर आपको अवगत कराया है। आरम्भ में आपने इनका संज्ञान लिया। मेनहर्ट घोटाला के नाम से कुख्यात राँची शहर के सिवरेज-ड्रेनेज योजना में हुए भ्रष्टाचार की जाँच करने का आदेश आपने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को दिया। कंबल घोटाला की जाँच का आदेश हुआ। मोमेंटम झारखंड के नाम पर हुए सरकारी धन की लूट की जाँच कराने की बात आगे बढ़ी। झारनेट 2.0 योजना की बदहाली में पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री की भ्रष्ट भूमिका के प्रमाण मैंने सामने लाया। कौशल विकास एवं नियोजन के फर्जीवाड़ा का भी मैंने पर्दाफाश किया। राज्य स्थापना दिवस समारोह-2016 के अवसर पर टॉफ़ी-टी-शर्ट की ख़रीद एवं सुनिधि चौहान का कार्यक्रम आयोजित करने में तत्कालीन मुख्यमंत्री सचिवालय की संलिप्तता के कारण लाखों रूपये के सरकारी धन का वारा-न्यारा होने के ठोस प्रमाण मैंने उपलब्ध कराया। इस बारे में विधान सभा पटल पर आपने एसीबी जाँच कराने का आश्वासन भी दिया। इसी मामले में झारखंड हाईकोर्ट में दायर एक मुक़दमा में सरकार के अधिवक्ता सुनवाई कर रही खंडपीठ को बार बार आश्वस्त कर रहे हैं कि सरकार इस मामले में कारवाई करने जा रही है। परंतु न तो विधान सभा में दिया गया आपका आश्वासन अबतक पूरा हुआ और न ही हाईकोर्ट में कही गई बातों पर सरकार में अमल हुआ. मेनहर्ट घोटाला की जाँच एसीबी से कराने का आपका आदेश एक साल पहले हुआ। परंतु यह आदेश एफआईआर कर जाँच करने का नहीं हुआ बल्कि प्रारम्भिक जाँच करने का हुआ। जहाँ तक मेरी जानकारी है, जाँच पदाधिकारियों के समूह ने इसकी गहन जाँच कर कई माह पूर्व जाँच प्रतिवेदन सौंप दिया है। जाँच में मुख्य अभियुक्त एवं अन्य दोषी चिन्हित हो गये हैं। दोषियों को उनका पक्ष रखने का मौक़ा भी दे दिया गया है। परंतु एफआईआर दर्ज कर उनके विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने का मामला सरकारी संचिका में धूल फाँक रहा है। इस मामले के जितने प्रमाण मैंने सरकार को उपलब्ध करा दिया है वे मुख्य अभियुक्त एवं अन्य पर दंडात्मक कार्रवाई करने के लिये पर्याप्त हैं, फिर भी इसमें प्रारम्भिक जाँच करने का आपका आदेश हुआ। पता नहीं क्यों सरकार इस मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है। सरकार की सुस्ती के कारण गंभीर अपराध करने वालों का मनोबल बढ़ा है। वे जेल जाने का इंतज़ार करने की बात कहते हुए खुलेआम कानून को चुनौती दे रहे हैं।

इसी तरह टॉफ़ी-टी-शर्ट-सुनिधि चौहान वाले मामले में हुए फर्जीवाड़ा एवं सरकारी धन की लूट का भी पुख्ता प्रमाण मैंने आपकी सरकार को और विधान सभा को दे दिया है। मुक़दमा दायर कर दोषियों पर सीधी कार्रवाई करने के लिये पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद दोषियों पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ? ऐसा न हो कि यह मामला भी आरम्भिक जाँच की पेचीदगी में फँसकर नाहक समय गवाँने का उपक्रम बन जाय। जबकि यह भ्रष्टाचार एवं मनमानी का ज्वलंत उदाहरण है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि भ्रष्टाचार के इन ज्वलंत मामलों पर एवं ऐसे अन्य मामलों पर अविलंब कारवाई करें। ऐसी नौबत न आये कि जो कार्रवाई सरकार को करनी चाहिये उसके लिये हमें न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने के लिये मजबूर होना पड़े।

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