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लोयोला स्कूल चर्च में गुड फ्राइडे मना विश्वासियों ने रखा उपवास, की क्रूस आराधना

जमशेदपुर। लोयोला स्कूल चर्च में शुक्रवार को गुड फ्राइडे बड़े ही श्रद्धा के साथ परंपरागत तरीके से मनाया गया।
यहां खुले मैदान में प्रभु यीशु मसीह के 14 क्रूस मार्ग की आराधना हुई। प्रत्येक मार्ग का विस्तार से उल्लेख किया गया।
इसके उपरांत सभी रोमन कैथोलिक विश्वासी चर्च में गए और तकरीबन 2 घंटे तक क्रम की उपासना हुई और उसके बाद मिसा बलिदान किया गया। रेक्टर फादर केएम जोसेफ, प्रोविंशियल फादर जेरोम कुटीनो, फादर पास्कल धनवार, फादर चार्ल्स परेरा, फादर जोसेफ एंथोनी आदि ने गुड फ्राइडे के महत्व को सामने रखा।
उन्होंने बताया कि प्रभु यीशु मसीह ने समस्त मानव जाति की रक्षा के लिए खुद को क्रूस पर बलिदान दे दिया। ऐसे में हमें उनके बलिदान को याद रखना है। परमपिता परमेश्वर के पुत्र यीशु ने जो दुख भोगा था, उसे हमें महसूस करना है और अपने आप को क्रूस के लिए और सत्य मार्ग के लिए समर्पित कर देना है।
शुक्रवार एवं शनिवार को रोमन कैथोलिक विश्वासी उपवास रखेंगे और शनिवार को रात में प्रभु का पुनरुत्थान होगा और उसकी याद में चर्च में रात 9:00 बजे आराधना होगी और रविवार को ईस्टर का पर्व मनाया जाएगा।
वही प्रोटेस्टेंट एवं अन्य लूथरन मिशन के विश्वासी रविवार की रात कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों के कब्र में मोमबत्ती अगरबत्ती जलाएंगे और पोस्ट को अर्पित करेंगे और उनके पुनरुत्थान के लिए प्रार्थना करेंगे।

क्यों मनाते हैं गुड फ्राइडे

आज से तकरीबन 2000 साल पहले रोम में ईसा मसीह काफी लोकप्रिय थे, तब वहां के धर्म गुरुओं को अपनी लोकप्रियता कम होने का डर सताने लगा। तब यहूदी शासकों ने प्रभु यीशु पर राजद्रोह का आरोप लगाया और उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई। इस दौरान ईसा मसीह को कई तरह की यातनाएं दी और फिर उन्हें सूली में लटका दिया।
माना जाता है कि जिस दिन प्रभु यीशु ने अपने प्राण त्यागे थे, उस दिन शुक्रवार था। साथ ही यह भी माना जाता है कि अपनी मौत के दो दिन बाद यानी रविवार के दिन ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए थे। इसलिए हर साल ईस्टर सन्डे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को गुड फ्राईडे मनाया जाता है।

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