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फॉस्टर केयर और स्पॉन्सर शीप स्कीम के बारे में डालसा किया लोगों को जागरूक , न्यायायिक मजिस्ट्रेट ने दी जानकारी

जमशेदपुर । डालसा जमशेदपुर द्वारा आज मानगो गुरुद्वारा में फॉस्टर केयर एवं स्पॉन्सर शीप स्कीम के बारे में कानूनी जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया । जागरुकता शिविर में सिविल कोर्ट जमशेदपुर के प्रथम श्रेणी न्यायायिक मजिस्ट्रेट सुमंत दीक्षित , श्री आदित्या एवं नुमान खान आजम ने उक्त स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी दिया और कहा कि यह स्कीम विशेष रूप से अनाथ बच्चों के लिए बनाया गया है । इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य वैसे अनाथ बच्चे जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम हो उन्हें अच्छे से परवरिश मिले , उसका पालन पोषण ठीक ढंग से हो और वह शिक्षा से बंचित न रहे । उन अनाथ बच्चों को गांव व समाज के बीच से खोजकर इस योजना का लाभ दिलाना है । उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान कई परिवार काल के गाल में समां गए और उनके बच्चे आज अनाथ हो गए हैं , उन्हें आज देखने वाला कोई नही रह गया है । उन सभी बच्चों को डालसा द्वारा शिशु प्रोजेक्ट के तहत उक्त स्कीम का लाभ दिलाया जा रहा है और पीएलवी सैकड़ों अनाथ बच्चों का इस जिले में इस योजना का लाभ दिलवा चुके हैं । जागरुकता शिविर में प्रभावित परिवार को इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया । मौके पर डालसा के पैनल लॉयर शमशाद खान ने डालसा के कार्य एवं उसके उद्देश्य को बताते हुए कार्यक्रम का संचालन किया । इस दौरान पीएलवी के रूप में नागेन्द्र कुमार , आशीष प्रजापति , संजय कुमार तिवारी , जोबरानी बास्के , दिलीप जयसवाल , मनोज राजवंसी , गुरुद्वारा के प्रबन्धक भगवान सिंह , मंदीप सिंह , कान्तेय सिंह , जसबन्त सिंह , हरबेन्द्र सिंह एवं डालसा स्टाप मनोज तिवारी सहित सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे । कार्यक्रम के अंत में गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी द्वारा सभी मजिस्ट्रेट एवं पैनल लॉयर को शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया गया । डालसा द्वारा आज करनडीह , पटमदा , बोडाम , पोटका , घाटशिला , बहरागोड़ा आदि जगहों में भी जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया ।

“प्रोजेक्ट शिशु” क्या है ?

झालसा रांची द्वारा शुरू किया गया प्रोजेक्ट शिशु अनाथ बच्चों के उत्थान के लिए बनाया गया एक स्कीम है , जिसके तहत कोरोना महामारी के दौरान राज्य के वैसे बच्चे जिन्होंने अपने अभिभावकों को खोया है उन बच्चों का पुनर्वास सुनिश्चित करना और राज्य सरकार एवं झालसा के प्रयास से संक्रमण काल में अनाथ हुए सभी बच्चों को सहारा दिया जाना तथा सहारा बनने की मुहिम के साथ उसे आगे बढ़ाना है । कोरोना संक्रमण काल में अनेकों ऐसे बच्चे हैं जिनके जीवन से मां-बाप का साया सदा के लिए समाप्त हो चुका है। वैसे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने व सवांरने में डालसा के पीएलवी अहम भूमिका निभा रहे हैं और यही पुनीत कार्य इनकी नैतिक जिम्मेदारी भी है।

योजना का लाभ किसे मिलेगा और दस्तावेज में क्या देना पड़ेगा

यह योजना 18 वर्ष से कम उम्र तक के बच्चे(बालिका/बालक) के पालन पोषण देख रेख एवमं प्रयोजन के लिए महिला,बाल विकास एवमं सामाजिक सुरक्षा विभाग, झारखंड, राँची द्वारा संचालित है।

18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिनके परिवार की वार्षिक आय 75000/- से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

ऐसे बच्चे जिनके माता पिता की मृत्यु हो चुकी है या माता पिता द्वारा बच्चे का परित्याग किया गया है और रिश्तेदारों की देख रेख में रह रहे हैं।

ऐसे बच्चे जिनके माता पिता असक्षम है या गम्भीर बीमारी से पीड़ित है माता पिता अथवा दोनों कारागृह में है और जिन्हें किसी भी प्रकार की पुर्नवास सहायता की आवश्यकता है।

इस योजना के तहत परिवार के अधिकतम 3 बच्चों को वित्तीय सहायता के रूप में 2000/- रुपये प्रतिमाह प्रति बच्चे के दर से दिए जाते हैं। और एक बच्चे को अधिकतम 3 वर्षों तक लाभान्वित किया जाता है।

आवेदन पत्र जिला बाल संरक्षण इकाई,जमशेदपुर में जाकर स्वयं या डालसा के पीएलवी द्वारा भी जमा कर सकते हैं। फॉस्टर केयर या स्पॉन्सर शीप स्कीम के लिए सलग्न कागजातों की सूचि :–आवेदनकर्ता का पासपोर्ट साईज फोटो : 2 पीस,बच्चों का पासपोर्ट साईज फोटो : 2 पीस,अभिभावक या संरक्षककर्ता का मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट ( गवर्नमेंट हॉस्पिटल , सीएचसी या पीएचसी,अभिभावक या संरक्षककर्ता के साथ बच्चों का जॉइन्ट बैंक खाता जिसमें पासबुक के उपर अभिभावक एवं बच्चों का नाम अंकित होना चाहिए,बीपीएल प्रमाण पत्र या बीपीएल नही होने की स्थिति में 75000 रूपये का वार्षिक आय प्रमाण पत्र होना चाहिए,मृत्यु प्रमाण पत्र पिता / माता का जो ब्लॉक से बना होना चाहिए । ब्लॉक से नही होने की स्थिति में पंचायत के मुखिया से प्रमाणित किया जाना चाहिए,अभिभावक एवं बच्चों का आधार कार्ड की कॉपी होना चाहिए,प्रत्येक बच्चों के लिए अलग – अलग गृह अध्ययन प्रतिवेदन ( H S R Formet ) , जिसमें जन्म तिथि , बच्चों के शिक्षा , मानसिक स्थिति , स्वास्थ्य एवं परिवार की स्थिति व परिवार के सदस्यों की संख्या तथा आवासीय पता का पूर्ण विवरण होना चाहिए ।

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