ई-कॉमर्स नियमों को लागू करने के लिए भी मुख्यमंत्रियों से समर्थन मांगा सुरेश सोंथालिया
जमशेदपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजे एक पत्र में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अपने ई-कॉमर्स पोर्टल पर बेचे जाने वाले सामानों की कीमतों को कृत्रिम रूप से कम करके सरकार को मिलने वाले जीएसटी राजस्व से बचने की ओर उनका ध्यान दिलाते हुए कहा की बड़ी ई कॉमर्स कंपनियां अपने पोर्टल पर बेचे जाने वाले सामान को वास्तविक बाजार कीमत से काफी कम दामों पर बेचते हुए रही सरकारों एवं केंद्र सरकार को जीएससटी राजस्व की बड़ी चोट पहुंचा रही है जिस पर तुरंत ध्यान दिया जाना जरूरी है ! कैट ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों को भी तुरंत लागू किये जाने पर मुख्यमंत्रियों से समर्थन भी माँगा है जिससे देश के वर्तमान ई-कॉमर्स व्यापार को प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों के एकाधिकार से मुक्त किया जा सके। इस सम्बन्ध में कैट ने सभी मुख्यमंत्रियों से इस विषय पर विस्तृत बातचीत करने के लिए समय माँगा है और जल्द ही कैट के प्रतिनिधिमंडल राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस विषय पर मिलेंगे !
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थालिया ने सभी मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में कहा कि प्रमुख ई-कॉमर्स पोर्टलों पर बेचे जा रहे सामान को यह कामोनियाँ लागत से भी कम मूल्य जिनकी कीमत वास्तविक बाजार कीमत से काफी कम रख कर बेचती हैं या बड़े डिस्काउंट देती हैं जिसके कारण सरज्या सरकारों और केंद्र सरकार को जीएसटी राजस्व का नियमतीर रूप से बड़ा नुक्सान हो रहा है !उन्होंने यह भी कहा कि कई विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां प्रति वर्ष विभिन्न प्रकार के “सेल्स फेस्टिवल” आयोजित कर रही हैं जिनमें अविश्वसनीय छूट दी जाती है जो बाजार कीमतों की तुलना में कीमत को कृत्रिम रूप से कम कर देती है। उन्होंने यह भी कहा की ई-कॉमर्स में एफडीआई नीति के तहत ये विदेशी कंपनियां केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) व्यापार के लिए ही अधिकृत हैं जबकि वे पूरी तरह से उल्लंघन में सरकार की आँख और नाक के नीचे बिजनेस टू कंज्यूमर (बी2सी) बिक्री कर रही हैं। दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि हालांकि नीति बनाना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है किन्तु व्यापार राज्यों में होता है और इसलिए राज्यों को छोटे व्यापारियों एवं उपभोक्ताओं को इन कंपनियों के चंगुल से मुक्त करने और निष्पक्ष ई-कॉमर्स व्यापार सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार से तुरंत बात करनी चाहिए !
श्री खंडेलवाल और श्री सोन्थलिया ने प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा जीएसटी की कर वंचना पर तुरंत लगाम कसने की मांग करते हुए कहा की विशेष रूप से विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के पोर्टल पर बड़ी संख्या में वस्तुओं की बिक्री उस वस्तु के बाजार मूल्य से कम है ! जीएसटी कानून के अनुसार सरकार प बाजार मूल्य पर जीएसटी लेने की हकदार है लेकिन यह वैश्विक ई-टेलर्स शिकार कृत्रिम रूप से माल की कीमतों को बेहद कम कर देते हैं और वास्तविक कीमत पर जीएसटी लेने के बजाय कृत्रिम बिक्री मूल्य पर जीएसटी लगाते हैं।उदाहरण के लिए ।
कैट ने कहा कि यदि बाजार में किसी मोबाइल का वास्तविक बिक्री मूल्य 10,000 रुपये है तो सरकार 10,000 रुपये की दर पर जीएसटी प्राप्त करने की हकदार है जबकि इन कंपनियों के पोर्टलों पर उसी मोबाइल को कृतिम रूप से बहुत कम दर पर बेचा जाता है जैसे कि 6000 रुपये और इसी राशि पर ये पोर्टल जीएसटी चार्ज करते हैं और इस तरह सरकारों को सीधे तौर पर जीएसटी राजस्व की चोट पहुंचाते हैं !आश्चर्य की बात है की अभी तक केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार के जीएसटी विभाग ने जीएसटी राजस्व के इस तरह की कर वंचना पर कोई ध्यान ही नहीं दिया है !
इसी तरह ये बड़े ई-टेलर्स साल भर “त्योहार बिक्री” का आयोजन करते हैं और ग्राहकों को लुभाने के लिए 10% से 80% तक की उच्च छूट देते हैं जो और कुछ नहीं बल्कि कृतिम मूल्य निर्धारण है जो एक जानबूझकर पैदा की गई विसंगति है जिससे सरकारों को जीएसटी राजस्व का भारी नुकसान होता है।
श्री सोन्थालिया ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मांग की है कि वे अपने-अपने जीएसटी विभागों को इन कंपनियों के बिक्री पैटर्न की पर्याप्त जांच करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दें।
कैट ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा हाल ही में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर मुख्यमंत्रियों का ध्यान दिलाते हुए मुख्यमंत्रियों का समर्थन मांगते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने सभी पक्षों से आवश्यक विचार के बाद ही ई-कॉमर्स नियमों का एक मसौदा जारी किया है जो वास्तव में बहुत अच्छा साबित होगा और जिसके जरिये ई कॉमर्स व्यापार में फैली अनियमितताएं , बड़ी ई कॉमर्स कामोनियों की दादागिरी को रोकने में कामयाबी मिलेगा और देश का ई कॉमर्स व्यापार निष्पक्ष बनेगा जिससे न केवल छोटे व्यापारियों बल्कि देश भर के उपभोक्ताओं में भी ई कॉमर्स व्यापार के प्रति विश्वसनीयता जाग्रत होगी।
श्री सोन्थालिया ने मुख्यमंत्रियों से मांग की है की वो केंद्र सरकार से इस बारे में बात करते हुए ई कॉमर्स नियमों को शीघ्र ही जारी करने पर बल दें।