मृतक व्यापारी की पत्नी और बच्चा
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उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड के आरोपियों पर 25 / 25 हजार का इनाम घोषित किया

संजय मितवा
दिल्ली । उत्तर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर मे कानपूर के व्यापारी की पीट पीट कर हत्या करने वाली पुलिस टीम के सभी छ हत्या के आरोपी पुलिस वालों पर रुपये 25-25 हजार का इनाम घोषित करने की फारमेलीटी कर दी है। छः की इस टीम में से कुछ ने अपने सरकारी असलहे जमा किये कुछ असलहों के साथ फरार हैं, लेकिन इस तरफ सरकार या अधिकारियों को ध्यान देने मे अभी समय लगेगा क्योंकि कारण ये मामला पुलिस वालों का है। यदि ये मामला समान्य आम नागरिकों का होता तो अब तक कुर्की, जब्तीगिरी और बुलडोजरगीरी जैसी कार्यवाही हो चुकी होती।
27/09/2021 की घटना को दर्जन भर से ज्यादा दिन हो गये हैं लेकिन पुलिस अभी टीम टाम, छापा छापी और दबिश दबिश खेल रही है और सुराग ढूंढने में लगी है। गाजीपुर, बलिया,अमेठी और लखनऊ के लिये टीमें भेजी गई हैं लेकिन बगल में नेपाल है वहाँ कोई टीम नही भेजी गई है।कारण तो सब लोग समझते ही हैं। भगौड़ा घोषित किया गया होगा ….ईनाम घोषित हो ही गया…. सीबीआई वाला तुर्रा भी अखबारों में चला ही था अब ऐसे मे बुलडोजर चलवाना थोड़ा ज्यादती हो जायेगी, क्योंकि दुधारू गाय को सम्मान देना पड़ता है वरना भविष्य मे कोई वसूली गैंग बन ही नहीं पायेगा जो कि पुलिस हित मे ठीक बात नहीं होगा। बुलडोजर चले भी तो कहाँ कहाँ और किस किस शहर में क्योंकि एक जगह तो आलीशान बंगले हैं नहीं कई जगह हैं तो इतने बुलडोजर और इतना डीजल एक और खर्चा बढ़ाने वाली बात होगी । साथ ही उन बयानों का क्या हश्र होगा जो एसएसपी गोरखपुर और एडीजी लाँ एण्ड आर्डर (लखनऊ) प्रशांत कुमार ने दिया था। खैर एडीजी प्रशांत कुमार तो हाथरस की घटना के बाद दलित बेटी का बिना मेडिकल जांच हुये ही रिपोर्ट को टीवी पर पढ़ दिये थे। उसी तरह बिना जांच के ही व्यापारी मनीष गुप्ता को होटल के सीढ़ी से भागते हुये गिराकर मार चुके हैं इसके लिये पुलिस मेडल भी मुख्यमंत्री के हाथों 2 अक्टूबर को पा चुके हैं। ऐसे अधिकारी को सरकार पालपोस कर रखती है जो अंधे बहरे और लूले की अदाकारी के साथ सरकारी गाना-बजाना करना जानते हो। पता है न गांधारी अंधी नहीं थी? लेकिन धृतराष्ट्र के कारण अंधा होने का नाटक करना पड़ा था।वही हाल एडीजी का है। अभी हवन की आग ठंडी नहीं हुई है इसलिए पुलिस सक्रियता का नाटक एक हफ्ते और चलेगा क्योंकि परोक्षरूप से हत्या के आरोपियों को हाईकोर्ट तक का सफर करने का मौका दिया गया है, फिर अगर बात नहीं बनी तो बगल के जिलों में अदालतों मे आत्मसमर्पण का मौका बनेगा और फिर रिमांड और पुलिस कस्टडी का खेल शुरू होगा। मुकदमा यहीं गोरखपुर मे चलेगा सिर्फ जांच कानपुर से कराई जा रही है। हवन की आग ठंडी हो जाने पर मृतक की पत्नी को दी गई नौकरी के एहशान पर मामले मे नरमी का भी धौंस दिखाया जायेगा और अंत मे ये मामला हाई कोर्ट तक जायेगा और चहेते वापस सर्विस पायेगें और जिनकी उम्र पार हो चुकी होगी वे पेंशन भी लेगे। यही परिणिति इस केस की होगी।संभावना यह है की मामले की लीपापोती जरूर हो जायेगी। जरा सी गुंजाइश यह जरूर होगी कि 2022 में चुनावी ऊट किस करवट बैठता है तब मै इसमे थोड़ा संसोधन भी कर सकता हूँ।

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