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आखिर क्यों भारत के सामने अचानक खड़ा हो गया बिजली संकट, जानें सब कुछ


सेन्हा भाटाचार्य
भारत बिजली कमी: कोयला मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, “खदानों में लगभग चार करोड़ टन और बिजली संयंत्रों में 75 लाख टन का भंडार है.”

नई दिल्ली. देश के कई इलाकों में अत्यधिक वर्षा के कारण कोयला की आवाजाही प्रभावित होने से दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है. आयातित कोयला कीमतों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की वजह से आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र अपनी क्षमता के आधे से भी कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं. इन दो कारणों से बिजली उत्पादन क्षेत्र दोहरे दबाव में है.

देश में इस वर्ष कोयला का हालांकि रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन अत्यधिक वर्षा ने कोयला खदानों से बिजली उत्पादन इकाइयों तक ईंधन की आवाजाही को ख़ासा प्रभावित किया है. गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली उत्पादन पर इसका गहरा असर पड़ा है. कोयला संकट के कारण पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार और आंध्रप्रदेश में भी बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है.एक तरफ बिजली उत्पादकों और वितरकों ने केवल दो दिन का कोयला बचा होने का दावा करते हुए जहां बिजली कटौती की चेतावनी दी है, वही कोयला मंत्रालय का कहना है कि देश में पर्याप्त कोयले का भंडार है और माल की लगतार भरपाई की जा रही है. इसके अलावा बिजली उत्पन्न करने के लिए आयातित कोयले का उपयोग करने वाले बिजली संयंत्रों ने कीमतों में उछाल के कारण या तो उत्पादन कम कर दिया है या पूरी तरह से बंद कर दिया है.

कोयले के स्टॉक में गिरावट के क्या कारण हैं?

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के आंकड़ों के अनुसार, कुल बिजली स्टेशनों में से 17 के पास शून्य मात्रा में स्टॉक था, जबकि उनमें से 21 के पास 1 दिन का स्टॉक था, 16 के पास 2 दिन का कोयला था और उनमें से 18 के पास 3 दिन का कोयला स्टॉक बचा था. कुल 135 संयंत्रों में से 107 में 1 सप्ताह से अधिक के लिए कोयला स्टॉक नहीं था.

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