जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया
चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस(NDD) के अवसर पर कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय चाईबासा में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ.साहिर पाल के द्वारा बच्चों को अल्बेंडाजोल को दवा खिला कर किया गया। इस दौरान सिविल सर्जन ने कहा कि आज भी बहुतायत लोग कृमि तथा इसके कारण होनेवाली अनेक जटिलताओं से पीड़ित रहते हैं। कृमि मनुष्य की आंत में पाया जाता है और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के पोषक तत्व को खाता है। कृमि संक्रमण अस्वच्छता तथा संक्रमित मिट्टी के संपर्क द्वारा संचारित होता है, इसलिए इसके संक्रमण से बचने हेतु स्वास्थ्य शिक्षा, व्यक्तिगत साफ सफाई, स्वच्छता तथा वर्ष में दो बार एनडीडी कार्यक्रम के दौरान स्वय को डिवार्म करना आवश्यक है। सिविल सर्जन ने बताया कि 19 अप्रैल 2024 को सभी विद्यालयों में 6 वर्ष से 19 वर्ष के छात्रों को शिक्षकों के देखरेख में और सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 से 5 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा दवा खिलाई जायेगी। इसके अलावा छूटे हुए सभी बच्चों को चिन्हित कर 26 अप्रैल 2024 को मॉपअप राउंड में भी दवा का सेवन कराया जायेगा। इस निमित्त सभी शिक्षकों, सेविकाओं, सहिया और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इस दौरान उपस्थित सदर चाईबासा प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.हांसदा ने कहा कि कृमि संक्रमण के लक्षण जैसे- भूख की कमी, खून की कमी, दस्त, पेट में दर्द, कमज़ोरी, बेचैनी, कुपोषण आदि है। गौर करने की बात है कि कृमि की जितनी अधिक तीव्रता होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे। कार्यक्रम में बताया गया कि 1 से 2 वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल की आधी गोली चम्मच से चूर कर, 2 से 5 वर्ष के बच्चों को एक गोली चम्मच से चूर कर और 6 वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को 1 गोली चबा कर स्वच्छ पानी के साथ दवा प्रशासक द्वारा ही खिलाई जायेगी। अल्बेंडाजोल की दवा बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। किसी भी तरह के अनुषंगी प्रभाव से निपटने के लिए प्रत्येक प्रखंड में रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया गया है।