हेड ग्रंथी का निधन पंथ की अपूर्णीय क्षति है : इंदरजीत
जमशेदपुर। तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के हेड ग्रंथी भाई साहब ज्ञानी राजेंद्र सिंह का निधन सिख पंथ के लिए अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में नहीं की जा सकती है।
प्रबंधन कमेटी के महासचिव सरदार इंदरजीत सिंह ने कहा कि पिछले कई सालों से ज्ञानी राजेंद्र सिंह कौम की सेवा कर रहे थे। वह पक्के नित्यनेमी थे और गुरु सिख थे। दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज और गुरु तेग बहादुर एवं माता गुजरी जी से संबंधित ऐतिहासिक घटनाओं, विरासत, परंपरा के गहन जानकार थे और भाषा पर अच्छी पकड़ के कारण ही गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज रचित “दशम ग्रंथ” “जाप साहिब”, “अकाल स्तुति”, “जफरनामा” का प्रभावशाली टीका एवम व्याख्या करते रहे, जो संगत के दिलोदिमाग पर स्थाई छाप छोड़ते रहे हैं।
तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब की अपनी एक खास मर्यादा एवं परंपरा है जिसका वे निर्वहन बखूबी निभाया करते थे।
पंथिक परंपरा, सरल, सादगी, ईमानदारी, अपनी नायाब शैली, आचरण गुरमुखी जीवन के कारण मिशाल कायम की और प्रबंधन कमेटी के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ता बना रहा। विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल में बदल लेना और उसे गुरु मर्यादा में डाल देना उनकी एक खास कला थी। कमेटी को उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी।
हेड ग्रंथी भाई साहब का अबचलनगर को प्रस्थान करना पारिवारिक शोक और सदमा है, जिसकी भरपाई मुश्किल है परंतु यह कमेटी, कौम एवम मानवता का भी भारी नुकसान है।
प्रबंधन कमेटी की भावना शोकाकुल परिवार के साथ है और वाहेगुरु से अरदास करते हैं कि उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार और कौम को इस दुख से उबरने की शक्ति दे।
इंद्रजीत सिंह के अनुसार उनकी तबीयत नासाज है और वह वाहेगुरु से हेड ग्रंथी साहब के ठीक होने की अरदास कर रहे थे। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का विछोड़ा सहना पड़ेगा। गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने इतने ही श्वास उन्हें दिए थे। भले ही वह इस दुनिया से चले गए हैं परंतु अपने अच्छे आचरण और व्यवहार के कारण सदैव जीवंत मिसाल बने रहेंगे। कमेटी की ओर से विश्वास दिलाते हैं कि वह पीड़ित परिवार के साथ इस दुख की घड़ी में बने रहेंगे। भविष्य में भी कमेटी परिवार की भावनाओं का ख्याल रखेगी।