श्रीकृष्ण की रासलीला और रुक्मणि विवाह की कथा में भक्तों ने लगाई डुबकी
भुइयाडीह नीतिबाग कॉलोनी में भागवत कथा का छठवां दिन
जमशेदपुर। भुइयाडीह स्लैग रोड़ स्थित नीतिबाग कॉलोनी में श्री हरि गोबिन्द सेवा समिति द्धारा
आयोजित भागवत कथा के छठवे दिन मंगलवार को वृदांवन से पधारे श्रीहरि जी महाराज ने व्यासपीठ से उधव गोपी संवाद, रासलीला, कृष्ण रुक्मणि विवाह की कथा का प्रसंग विस्तार से सुनाया। उन्होंने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। उन्होंने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। रुक्मणी विवाह के प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है।
रासलीला की कथा की प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने आगे कहा कि वास्तव में रास का मतलब है आनंद और आनंद का मतलब है श्रीकृष्ण। गोपियां जीवात्मा हैं। भगवान परमात्मा हैं। रासलीला भागवत का प्राण है। रास पंचध्यायी कथा को श्रीमद् भागवत महापुराण से अलग कर दिया जाए तो इसके फल को अच्छी तरह प्राप्त नहीं किया जा सकता। रास का मतलब होता है जो सारे संसार का रस या रहस्य है, वही ईश्वर है। यही प्रकाश या वैभव है। रास ही ज्ञान है। ऐसे रास को करने से जो आनंद की अनुभूति होती है, वहीं रासलीला है। यानि अपने ही ज्ञान, वैभव, रहस्य, तेज, प्रकाश या रस में कीड़ा करना या खेलना एवं रमण करना रास है। रस का अर्थ ब्रम्ह होता है। जीव व ब्रम्ह का मिलन ही रास है। भगवान की इस अद्भुत लीला को पाने के लिए भगवान भी तरसते हैं।
मंगलवार को भाजपा नेता बबुआ सिंह भगवात कथा में शामिल होकर श्रीहरि जी महाराज से आर्शीवाद लिया और झारखंड के विकास की प्रार्थना की। कथा विश्राम के बाद मुख्य यजमान अमृता-चन्दन अग्रवाल नेे व्यासपीठ की आरती उतारी। इस मौके पर श्रीराम सरोज, दिलीप सिंह, रवि शंकर सिंह, डा. एस के तिवारी, विकास शर्मा, रामेश्वर सिंह, जसवंत सिंह, श्याम खंडेलवाल, हरिओम सरोज, सुबोध सिंह, काजोल सेतुआ समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।