राहुल गांधी के विरुद्ध कार्रवाई मोदी सरकार की तानाशाही का परिचायक : सुबोधकांत सहाय

विशेष संवाददाता
रांची। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के विरुद्ध की गई कार्रवाई मोदी सरकार की तानाशाही का परिचायक है। उक्त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कानून को ताक पर रखकर आनन-फानन में राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर अपनी मंशा जता दी है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है। इससे भाजपा का चाल, चेहरा और चरित्र उजागर हो गया है।
उन्होंने कहा कि तीन वर्ष पुराने मामले में सूरत के एक न्यायालय द्वारा राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाने के बाद उसी कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और शीर्ष न्यायालय में अपील करने के लिए 30 दिनों की मोहलत दी। इसके बावजूद केंद्र की मोदी सरकार ने न्यायालय के निर्देशों को दरकिनार कर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द करने संबंधी आदेश जारी कर दिया। मोदी सरकार की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि देश में संवैधानिक संस्थाओं का पूरी तरह दुरुपयोग किया जा रहा है।
श्री सहाय ने कहा कि संसद में राहुल गांधी अपना पक्ष रखने का अनुरोध करते रहे,लेकिन भाजपा के सदस्यों ने उन्हें बोलने नहीं दिया और जानबूझकर सदन को बाधित किया। भाजपाइयों को यह पता चल गया था कि राहुल गांधी जब अपना वक्तव्य देंगे तो भाजपा को पूरी तरह बेनकाब कर देंगे। इसीलिए सोची-समझी साजिश के तहत संसद की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करते रहे और सदन को चलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद संभवत: यह पहला अवसर है, जब सत्ता पक्ष ने ही सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी।
श्री सहाय ने कहा कि केंद्र सरकार का यह कृत्य अलोकतांत्रिक है। जनप्रतिनिधियों और जनता के मौलिक अधिकारों का हनन है। कांग्रेस पार्टी स्वच्छ संसदीय राजनीति में विश्वास रखती है और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को बनाए रखने के लिए कृतसंकल्पित है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपानीत सरकार द्वारा राहुल गांधी के लोकसभा की सदस्यता रद्द किया जाना लोकतंत्र का गला घोंटने के समान है। यह कार्रवाई घोर निंदनीय है। उन्होंने केन्द्र सरकार के इस निर्णय की तीव्र भर्त्सना की।