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भगवान की कृपा प्रतीक्षा की चीज नहीं समीक्षा की वस्तु हैं- सीताराम शास्त्री

मारवाड़ी महिला मंच का बिष्टुपुर तुलसी भवन में भागवत कथा का पांचवां दिन

जमशेदपुर। बिष्टुपुर तुलसी भवन में बुधवार को भागवत कथा के पांचवें दिन श्री कृष्ण बाल लीला, गिरिराज पूजन एवं छप्पन भोग का प्रसंग का व्यास पीठ से सुंदर व्याख्यान करते हुए कथावाचक सीताराम शास्त्री ने कहा कि भगवान की कृपा प्रतीक्षा की चीज नहीं समीक्षा की वस्तु हैं। साधक के जीवन में सुःख हो या दुःख हर परिस्थिति में प्रभु कृपा का दर्शन करना चाहिए। गिरिराज पूजन का प्रसंग सुनातेे हुए महाराज जी ने कहा कि मनुष्य को सदा प्रकृति का

पूजन करना चाहिए विध्वंसक नहीं। प्रकृति हमारी मां हैं। उसे विकृत नहीं, संस्कृति करें। साधक यदि सत्यता में जीता हैं तो उसे सदा निर्भयता ही मिलती हैं। असत्य से वही समझौता करता हैं जिसका सत्य का पक्ष कमजोर होता हैं। वह हमेशा डरा हुआ होता हैं। सत्य परेशान हो सकता हैं पर परास्त नहीं। सत्य हमारा निज स्वरूप हैं। वही भगवान हैं। इसलिए तो कोई हमसेे झूठ बोले हमें अच्छा नहीं लगता। इससे प्रमाणित होता हैं कि हम सत्य की मंताति हैं। सत्य स्वरूप परमात्मा को उपलब्ध होना ही जीवन का परम लक्ष्य हैं। शास्त्री ने कालीय निग्रह प्रसंग सुनाते हुए आगे कहा कि इन्द्रियों को मारने से इन्द्रियां शांत नहीं होती, अपितु इन्द्रियों को मोड़ने से इन्द्रियों की गति दिव्य बनती हैं और शांत होती हैं। उन्हें प्रभु के मार्ग से मोड़ना चाहिए क्योंकि इन्द्रियों के स्वामी भगवान ही हैं।
महाराज जी छठवें दिन गुरूवार को रास लीला, उद्धव गोपी संवाद एवं रूकमणि चरित्र का प्रसंग सुनायेंगे। कथा के दौरान उपस्थित श्रद्धालु देर संघ्या तक जमे रहे।
नवजात कन्या पूजनः- झारखंड प्रादेशिक मारवाड़ी महिला सम्मेलन और मारवाड़ी महिला मंच जमशेदपुर द्धारा आयोजित भागवत कथा में बुधवार को राधा जन्मोत्सव के दिन कन्या पूजन के अंतर्गत 11 नवजात कन्या का पूजन कर एवं उनकी माताओं को कथावाचक सीताराम शास्त्री ने अपनेे हाथों से उपहार देकर सम्मानित किया।
08 यजमानों ने की पूजाः- मंगलवार की सुबह आठ यजमान क्रमशः नंद किशोर अग्रवाल, किशोर खंडेलवाल, कंचन खंडेलवाल, संजु खंडेलवाल, पुष्पा संघी, राजेन्द्र प्रसाद, वर्षा मित्तल, उमेश साह ने संयुक्त रूप से पूजा करायी।

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