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प्रशासनिक अधिकारियों की बदली होने से पश्चिमी सिंहभूम जिला का विकास कार्य ठप, शासी परिषद से पारित डीएमएफटी से संबंधित योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति की करवाई भी लम्बित

सांसद और विधायकों के द्वारा डीएमएफटी से पारित अनुशंसित योजनाओं की स्वीकृति भी अधर में

चालू योजनाओं में भी राशि की विमुक्ति नहीं हो रहा है, आचार संहिता लागू होने से पहले लम्बित योजनाओं की स्वीकृति मिलने पर सवाल

संतोष वर्मा
चाईबासा।पश्चिमी सिंहभूम जिले के तत्कालिन डीडीसी संदीप बक्शी के जाने के बाद से आज तक कोई भी किसी स्तर का विकास योजनाओं की अपेक्षित कार्य देखने को नहीं मिल रही है। डीएमएफटी की योजनाओं का अवशेष राशि की विमुक्ति का मामला आज दो माह से लम्बित है,जबकि बीडीओ के स्तर से योजनाओं का जांच प्रतिवेदन डीडीसी कार्यालय को भेजा जा चुका है,इस तरह का मामला विशेष प्रमंडल और लघु सिंचाई विभाग की है।सिंहभूम सांसद श्रीमती गीता कोड़ा,विधायक और विधायकों के द्वारा शासी परिषद से पारित डीएमएफटी से संबंधित योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति की करवाई भी लम्बित है।सूत्रों के अनुसार तत्काली डीडीसी ने जितनी भी योजनाओं की स्वीकृति की फाइल डीसी को भेजें थें, वो सभी फाइल डिस्कस लिख कर वापस कर दिया गया है,जी आज तक उस फाइल को पुनः स्वीकृति के लिए डीसी को नहीं भेजा गया है। माननीय लोग को अब आचार संहिता लग जाने का डर सता रहा है,ऐसे में प्रशासन के शिथिल कार्यशैली से चिंतित नजर आ रहे हैं। अब देखना है कि क्या पूर्व के लम्बित योजनाओं को समय रहते स्वीकृति दे पाते है या नहीं। विडंबना यह है कि चालू योजना में भी दितीय क़िस्त की राशि की विमुक्ति की करवाई भी नहीं हो रही है। यूं कहा जा सकता है कि प्रशासनिक अधिकारियों के बदलने से जिला का विकास ठप पड़ गया है।प्रशासनिक अधिकारियों की बदली होने से जिला का विकास कार्य ठप पड़ गया है। सांसद और विधायकों के द्वारा डीएमएफटी से पारित अनुशंसित योजनाओं की स्वीकृति भी अधर में। चालू योजनाओं में भी राशि की विमुक्ति नहीं हो रहा है। आचार संहिता लागू होने से पहले लम्बित योजनाओं की स्वीकृति मिलने पर सवाल। बीते लोकसभा चुनाव में माननीय लोग ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क,पुल का वादा किए हैं,उन वादा किए गए योजना की स्वीकृति भी लम्बित है।

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