पर्यावरण मेला में आज प्रदूषण का मानव जीवन पर कुप्रभाव विषय पर व्याख्यान
रांची । चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता के पूर्व सहायक निदेशक डॉ. मानस रंजन रे पर्यावरण मेला में प्रदूषण का मानव जीवन पर कुप्रभाव विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने चेतावनी दिया कि अगर शासन व्यवस्था और समाज ने प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण के कारण देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में कैंसर से मरने वालों की संख्या बेहद बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में प्रदूषण को रोकने के लिए जो कदम उठाये जाने चाहिए थे, वो नहीं उठाए गए।
युगांतर भारती और नेचर फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रहे पर्यावरण मेले में कोलकाता से शिरकत करने आए डॉ. रे ने कहा कि वायु प्रदूषण का असर वरितमान पीढी के शरीर के प्रायः सभी हिस्सों पर तो पड़ ही रहा है, आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ रहा है। बच्चे अंडरवेट पैदा हो रहे हैं, वो निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं, महिलाओं में गर्भधारण की समस्या पैदा हो रही है, उनका मासिक धर्म भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। और तो और, बढ़ते प्रदूषण के कारण आम आदमी ज्यादा डिप्रेस्ड हो रहा है, डिप्रेशन में जी रहा है। वह परेशान है, हलकान है। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वह करे तो क्या करे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के इलाके में किये गए सर्वे में यह बात निकल कर सामने आई कि वहां पैदा होने वाले बच्चे ज्यादा शैतानियां करते हैं, ज्यादा गुस्सैल होते हैं, ज्यादा अटैंशन चाहते हैं, ज्यादा जिद्दी होते हैं और ज्यादा बदमाशियां करते हैं। इसके उलट हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों के बच्चे ज्यादा विनम्र होते हैं, ज्यादा आज्ञाकारी होते हैं, कम गुस्सा करते हैं और ज्यादा अक्लमंद होते हैं। बकौल डॉ. रेः यह सब प्रदूषण के कारण होता है।
छत्तीसगढ़-दिल्ली में इंडस्ट्रियल पोल्यूशन बहुत ज्यादा है। इसका असर बच्चों पर पड़ रहा है। हिमाचल में इंडस्ट्रियल पोल्यूशन बेहद कम है, इसलिए वहां के बच्चे शरीफ दिखते हैं। यह फर्क है पोल्यूटेड और अनपोल्यूटेड एरिया का।
उन्होंने कहा कि अगर इंसान को इस पोल्यूशन को कम करना है तो सरकार ने जो भी नियामक बनाए हैं, उसका 100 फीसदी अनुपालन करना होगा। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण दिया, जहां भारत की तुलना में कहीं ज्यादा उद्योग-धंधे चल रहे हैं और एक जमाने से चल रहे हैं। पोल्यूशन वहां भी होता है परंतु कम होता है। क्योंकि वहां जो नियामक हैं, वो उसमें बराबर चेकिंग करते हैं। कहीं किसी ने कुछ गलत किया है तो उसे दंडित करने में कोई भाई-भतीजावाद नहीं देखते। यही वजह है कि अमेरिका में ज्यादा उद्योग-धंधे होने के बावजूद प्रदूषण भारत से कम है। डॉ. रे ने भारत में पोल्यूशन बढ़ने का एक बड़ा कारण बढ़ती हुई आबादी को भी बताया। उन्होंने कहाः आप आबादी कम नहीं कर रहे हैं। आबादी बढ़ती जा रही है। डिमांड एंड सप्लाई का चेन यहां टूट रहा है। इसे समझना होगा। आबादी का लोड आप जब नेचर पर देंगे तो इननैचुरल हादसे होंगे। वही हो रहा है। आप देखें, फरवरी में टेंपरेचर 39 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया तो कैसे? इस पर विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि घर में अगरबत्ती या धूप जलाना अथवा बीड़ी-सिगरेट पीना कैंसर को खुलेआम न्यौता देने के बराबर है। घर में मास्किटो वायर जलाना तो बेहद घातक है। इसके साथ ही धूपबत्ती का जलाना भी बेहद खतरनाक है। इसमें बहुत ज्यादा केमिकल्स होते हैं। ये केमिकल्स हमारे फेफड़ों में घुस कर उसे तो तबाह करते ही हैं, लंग्स, हार्ट और किडनी को भी बेतरह नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण से सबसे ज्यादा असर उन लोगों को पड़ता है, जो डायबिटीज के रोगी हैं।
डॉ. रे ने बताया कि प्रदूषण सबसे ज्यादा जाड़े के मौसम में होता है। जाड़े के मौसम में प्रदूषण पीक पर होता है। ऐसे मौसम में किसी भी स्वस्थ आदमी को सुबह से लेकर दोपहर बाद 4 बजे तक कभी भी वॉक नहीं करना चाहिए क्योंकि उस वक्त पॉल्यूटेड एयर सीधा आपकी नाकों में घुस कर फेफड़े आदि को प्रभावित करता है। इस दौरान पोल्यूशन आपकी नाक की सीध में होता है। आप जो हवा लेते हैं, सांस लेते हैं, वह सीधे आपकी नाक के रास्ते फेफड़े और शरीर के अन्य हिस्सों में प्रवेश कर जाता है। अगर घूमना ही है तो आप शाम 4 बजे के बाद घूमें। वैसे भी, जाड़े के टाइम में कौन शाम 4 बजे घूमता है। बेहतर है कि आप इनडोर ही कुछ एक्सरसाइज कर लें।
क्या खाएं
डॉ. रे ने ज़ोर देकर कहा कि पॉल्यूशन के इसयुग में जितनी भी हरी सब्जियां खा सकते हैं, खाएं। खास कर टमाटर की चटनी या टमाटर की सब्जी हर किसी को जरूर खानी चाहिए। अगर पॉकेट एलाव करे तो समुद्री मछलियां खानी चाहिए क्योंकि उनमें फैट और प्रोटीन बेहतर होते हैं। रेड मटन हरगिज नहीं खाना चाहिए। चिकन चल सकता है। लेकिन, हरी सब्जी सबसे शानदार विकल्प है। इसे जरूर खाना चाहिए।
उन्होंने चेताया कि एयर पॉल्यूशन के कारण कैंसर के भयावह होने का खतरा
वायु प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता रहा तो बढ़ सकती है कैंसर मरीजों की संख्या आज के 37 लाख से बढ़कर करोड़ में पहुंच जाएगी.
सरकारी मैकनिज्म को इसके लिए कठोरता से काम करना होगा
उन्होंने सलाह दिया कि खाने में हरी सब्जी को प्राथमिकता देनी होगी. घर में धूप-बत्ती, मच्छर भगाने के लिए कॉयल जलाना बंद करना होगा. घूमना ठीक है, पर जाड़े के दिनों में शाम 4 के बाद ही घूमने के बारे सोचें.
सबसे खतरनाक पॉल्यूशन लेबल जाड़े के मौसम में ही होता है. अक्टूबर से फरवरी तक का महीना बेहद खतरनाक है.
संगोष्ठी में राँची विश्वविद्यालय के कुलपति डा॰ अजीत मुख्य अतिथि थे. डा॰ एम के जमुआर ने विषय प्रवेश कराया. शिवानी लता ने धन्यवाद ज्ञापन किया. विशिष्ट अतिथि के रूप में आईएनए के डा॰ पी के सिंह और सदर अस्पताल के डा॰ विमलेश कुमार सिंह उपस्थित
थे. श्री धर्मेन्द्र तिवारी ने स्वागत संबोधन किया.