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झारखण्ड के एक भी आदिवासी मुलवासी को अपने स्थानीयता के अधिकार से वंचित नहीं किया जाए : मधु कोड़ा

झारखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

तिलक कुमार वर्मा चाईबासा: झारखण्ड सरकार ने मंत्रिपरिषद् द्वारा स्थानीय निवासी परिभाषा हेतु विधेयक की स्वीकृत प्रस्ताव में विसंगतियों के संदर्भ सोमवार को झारखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर ध्यानाकृष्ठ करते हुए कहा कि चाहुंगा कि दिनांक: 14 सितम्बर, 2022 को झारखण्ड राज्य सरकार मंत्रिमंडल ने राज्य के निवासियों को स्थानीयता परिभाषित करने के उद्देश्य से मंत्रिपरिषद् में कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ज्ञापांक- 14 स्थानीय नीति 11-03 / 2022 का0 5767 / रांची, दिनांक 14/07/2022 के बावत प्रस्ताव मंत्रिपरिषद् की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया और इस प्रस्ताव को झारखण्ड मंत्रिपरिषद् ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में स्वीकृति दे दी गई है। मंत्रिपरिषद् द्वारा स्थानीयता परिभाषित करने की स्वीकृति प्रस्ताव में मुख्य आधारः

1. झारखण्ड राज्य की भौगोलिक सीमा में निवास करता हो एवं स्वयं अथवा उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो।

2. भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी, जो झारखण्ड में
प्रचलित भाषा, रहन-सहन वेश-भूषा संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी।
उपरोक्त खण्ड-1 में वर्णित स्थानीयता का आधार 1932 खतियान को कार्ट ऑर्फ वर्ष सीमित करने से कोल्हान प्रमंडल अंतर्गत जिला क्षेत्रों में निवास करने वाले स्थानीय लोग वर्त्तमान में मंत्रिपरिषद् से स्वीकृत विधेयक, 2022 में परिभाषित स्थानीयता के परिधि से बाहर हो जाएगें। कोल्हान प्रमंडलीय अंतर्गत निवास कर रहे अधिकांश निवासी का हाल सर्वे सेटलमेन्ट 1934, 1958 1964-65 एवं 1970-72 आदि का जमीन पट्टा और खतियान धारक है। ऐसी स्थिति में कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम एवं सराईकेला-खरसावां जिले के लाखों रैयत खतियान धारक निवासी को स्थानीयता से मिलने वाले लाभ से वंचित हो जाएगें। खतियान धारक झारखण्डी होने के बावजूद भी स्थानीयता के लिए दुसरे जरियों पर निर्भर होना पड़ेगा। यह बहुत ही विडंबना है साथ ही न्याय संगत भी नहीं है।
दुसरा आधार भूमिहीन के मामलों में स्थानीय निवासी पहचान संबंधित ग्रामसभा की कृत्य शक्ति, कर्त्तव्य संबंधित विषय स्पष्ट नहीं है।
आगे पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि झारखण्ड के एक भी आदिवासी मुलवासी को अपने स्थानीयता के अधिकार से वंचित नहीं होना पड़े इसके लिए निम्नलिखित सुझाव है:

1. झारखण्ड मंत्रिपरिषद् द्वारा पारित स्थानीय नीति विधेयक प्रस्ताव में खतियान के कर्ट ऑफ वर्ष 1932 को माना गया है। इस प्रस्ताव में खतियान के कार्ट ऑफ वर्ष को विलोपित कर केवल खातियान आधारित स्थानीयता को दर्ज किया जाए।

2. राज्य सरकार द्वारा लाए गए स्थानीय नीति विधेयक प्रस्ताव में ग्राम सभा को संवैधानिक, अधिनियमित, नियम रूप से ग्राम सभा की कृत्य शक्ति, कर्त्तव्यों एवं जिम्मेदारी को सुस्पष्ट परिभाषित किया जाए।

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