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सुशील सिंह को पद मुक्त करना संगठन के लिए घातक, सहयोगी कभी भी दे सकते है सामूहिक इस्तीफा

पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एचपी सिंह का हिटलर शाही जैसा रवैया शर्मनाक

रघुवंश मणि सिंह
जमशेदपुर : जिस तरह से पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एपी सिंह ने पूर्व सैनिक सेवा परिषद के झारखंड प्रदेश के महासचिव सुशील कुमार सिंह को पद मुक्त करने का फरमान जारी किया, यह हिटलर शाही वाला संकेत है जो बहुत ही निंदनीय है। जमशेदपुर से दूरभाष पर एक अखबार के वरीय संवाददाता ले फोन कर एच पी सिंह से इसका कारण जानना चाहा तो उन्होंने अभद्रता से बात की और फोन काट दिया। इसका स्पष्ट संकेत है कि झारखंड में पूर्व सैनिक सेवा परिषद के दर्जनों पदाधिकारी और सहयोगी कभी भी सामूहिक इस्तीफा सुशील कुमार सिंह के पक्ष में दे सकते हैं और नया संगठन तैयार कर सकते हैं। इसका एक ही कारण है सुशील कुमार सिंह संगठन, सैनिक परिवार और शहर के सामाजिक गतिविधियों में सदैव तत्पर रहते हैं और भी तन मन धन के साथ सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वही पर एचपी सिंह जैसे संगठन के पदाधिकारी चापलूसी और चाटुकारिता करने वालों को महत्व देते हैं। इनके जैसे पदाधिकारियों से संगठन का कितना भला होगा यह तो अभी आने वाला समय ही बताएगा, क्योंकि झारखंड में सुशील कुमार सिंह के पक्ष में काफी संख्या में पूर्व सैनिक शहर के लोग साथ खड़े हैं। वहीं एसपी सिंह ने जिसके इशारे पर सुशील कुमार सिंह को पद मुक्त किया है उनकी औकात जल्द ही दुनिया की नजरों में सामने आ जाएगी।
गौरतलब है कि विगत 14 वर्षों से अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सदस्य से लेकर प्रदेश महासचिव के भूमिका में सबसे सक्रिय होने के बावजूद कुछ पद लोभी और केवल कागज पर काम करने वाले सदस्यों की वजह से केंद्रीय समिति गुमराह होकर झारखंड प्रदेश से सबसे ज्यादा राष्ट्रीय बैठकों में शामिल होने वाले और पूरे राज्य के हर जिलों में सैनिकों कार्यक्रमों में शामिल होना, हर सैनिकों की समस्या में यथासंभव सहयोग करने वाले, 20 घंटे संगठन के लिए सेवा देने एवं वीर नारियों, शहीद परिवार एवं सैनिक विधवाओं का निरंतर ख्याल रखने वाले, सेना, प्रशासन, सामाजिक संगठनों एवं मीडिया के साथ तालमेल रखते हुए सैनिकों के सम्मान की लड़ाई लड़ने वाले सुशील सिंह को पद मुक्त करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। इस फैसले से पूर्वी सिंहभूम के सैनिक सदस्यों में इस बात का आक्रोश साफ देखा जा सकता है। संगठन पद से नहीं बल्कि सेवा और समय देने से चलता है। परंतु कुछ सदस्य केवल कानाफूसी करके बदले की भावना से अपनी सक्रियता जताने में लगे हुए हैं। वही संगठन से हटकर काम करने वालों को मान्यता देकर अपनी मजबूती का प्रमाण दे रहे हैं। आने वाले समय में सैनिकों के हित में निरंतर कार्य सेवा जारी रहेगा। जिनको पद की राजनीति करनी है उन्हें राजनीतिक संगठन ज्वाइन कर लेना चाहिए। इसके साथ ही केंद्रीय नेतृत्व से आग्रह है कि अपने वर्तमान प्रदेश समिति के अलावा शहर के विभिन्न संगठनों से संपर्क कर जिले में लोगों की सक्रियता जानने का प्रयास करें क्योंकि जो काम करते हैं वह रिपोर्ट कम करते हैं और जो रिपोर्ट करते हैं वह कभी काम नहीं करते। अतः संगठन के हित में अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है जिससे आम सदस्यों में संगठन के प्रति सकारात्मक मानसिकता बनी रहे। बदले की भावना से संगठन कमजोर पड़ेगा।अतः अपने अपने क्षेत्र में निरंतर सहयोग की भावना से काम करने की आवश्यकता है।

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