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पंडित रघुनाथ मुर्मू आदिवासियों के मशीहा थे : मदन मोहन सोरेन

जमशेदपुर।.आदिवासी संताड़ जाहेरथान कमिटि कदमा जमशेदपुर की ओर से संताली लिपि ओल चिकी के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू की जन्मोत्सव के अवसर पर रक्तदान शिविर और उनके मूर्ति का अनावरण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में काफी संख्या में महिला, पुरुष व युवा शामिल हुए।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ हीरालाल मुर्मू और विशिष्ट अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता व राँची हाईकोर्ट के अधिवक्ता मदन मोहन सोरेन उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि के प्रोफेसर डॉ हीरालाल मुर्मू ने कहा कि रक्तदान महादान है। भारत में प्रथम विश्व युद्ध के समय 1942 में प्रारंभ हुई थी। हमारे देश में प्रत्येक वर्ष 5 करोड़ यूनिट की खपत होती है।रक्तदान के लिए ग्रामीण क्षेत्र में अब भी जागरूकता का अभाव है।
मदन मोहन सोरेन ने कहा कि पंडित रघुनाथ मुर्मू ओल चिकी को स्थापित करने में ऐतिहासिक काम किया।संताली सहित्य,संस्कृति और सरना धर्म को प्रचार प्रसार करने में अंतिम समय तक लगा रहा।उन्होंने कहा कि आदिवासी और मूलवासी को सरना धर्म कोड नहीं मिलने के उनके अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो रहा है।
शिविर में कुल 59 यूनिट रक्त संग्रह हुआ।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में वीबीडीए, जमशेदपुर ब्लड डोनर एसोसिएशन के टीम, रक्तदान प्रेरक राजेश मार्डी, आदिवासी संताड़ जाहेरथान के भुआ हांसदा, विक्रम बास्के, पंचू हांसदा, सुनाराम टुडू, विकास हेम्ब्रम, अर्जुन सोरेन, लील मोहन सोरेन,कुछ कुसाधर हांसदा, सुनाराम सोरेन, कदमा माझी बाबा बिंदे सोरेन,सुरेंद्र टुडू, मनी सोरेन,सुमित्रा बेसरा, शांति माझी, सावित्री हांसदा, बाला हांसदा, करना मुर्मू, सावित्री टुडू, जीजिमल के मुर्मूआदि उपस्थित का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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