वार्ता से ही विचारों की श्रृंखला बनाकर विश्व समुदाय को जोड़ती है : लक्ष्मी सिन्हा
बिहार पटना : राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि दूसरों के प्रति सद्भभाव की भावना दिलों में जागृत हो जाए तो उन्नत राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकती है। वार्ता से प्रत्येक व्यक्तित का सरोकार है। जब मन में संदेह उपजे, हृदय अवि्श्वास से घिर जाए, मस्तिष्क विचार न ठहरे तब वार्ता से ही रास्ता निकलेगी। कोई भी विवाद हो, कैसी भी समस्या हो, फिर भी वार्ता से हल निकल सकती है। संबंधों में कितना भी ठहराव क्यों न आ जाए लेकिन वार्ता के ताप से रिश्तो पर जमा बर्फ भी कि पिघल जाती है। वार्ता में शिथिलता के लिए केवल अहंकार दोषी होता है। किसी भी विध्वंस का कारण अहंकार ही रहा है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि विश्व शांति की अवधारणा परस्पर संवाद पर ही टिकी है। संवादहीनता से कूटनीति और राजनीति अकेली पड़ सकती है। बातचीत चलती रहे तो विकल्प निकलने की संभावना बढ़ जाती है। चर्चाओं में तर्क, सुझाव और मतों का विभाजन होता रहता है। यह अनवरत प्रक्रिया है। जनता के मध्य निरंतर जनमत पर चर्चा चलती रहती है। लोक चर्चा और लोकमत से संसार की बड़ी समस्याओं पर सकारात्मक निष्कर्ष निकल सकती है। चर्च वार्ता को प्रोत्साहित करना उचित है। संवादहीनता को हतोत्साहित करना चाहिए। सभी द्वार भले ही बंद हो जाए लेकिन बातचीत का द्वार सदैव खुली रहे। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि लोग कहते हैं कि पैसों का काम पैसों से ही चलता है, बातों से नहीं। यह बात सच है कि बातों से कोई काम नहीं होता, काम तो काम करने से हो सकता है, लेकिन काम तभी हो सकता है, जब उसका हमसे पहले कोई विचार स्थिर हो। विचार स्थिर होगी तो उससे संबंधित बात पूरी हो सकेगी आज बात होगी तो काम का आदेश होगा। काम का आदेश स्वयं या अन्य प्रकार का हो सकता है। इसलिए समाज और देश दोनों में वार्ता का महत्व स्वीकार किया जाता है। वार्ता को सबसे बड़ा कार्य माना जा सकता है। सभी कार्यों का श्री गणेश बात से ही आरंभ होता आया है। युद्ध को भी वार्ता के माध्यम से रोका जा सकता है। वार्ता से ही विचारों की श्रृखला बनकर विश्व समुदाय को जोड़ती है। सभी तंत्रों से वार्ता तंत्र सबसे सफल प्रयोग है। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि वार्ता ही एक ऐसा मंत्र है जो समाज, देश ,विश्व , को एकजुट रखने में सफल बना सकता है।