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भूखे लोगों के मानवाधिकार

रोटी बैंक चला रहा है अभियान

जमशेदपुर। विश्व मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाता है। 1948 में 10 दिसंबर के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी किया था तभी से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को पुरे मे विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। मानवाधिकार घोषणा पत्र में न्याय, शांति और स्वतंत्रता की बुनियाद के रूप में समाज के सभी वर्गों को सम्मान और बराबरी का अधिकार दिए जाने की बात कही गई थी। मानव अधिकार वे अधिकार है जो किसी भी व्यक्ति के लिए सामान्य रूप से गौरव पूर्ण जीवन बिताने एवं उसके अस्तित्व के लिए आवश्यक है। मानवाधिकार दिवस का प्रमुख उद्देश्य है विश्व में किसी भी व्यक्ति, समाज या वर्ग को परेशान न किया जाये। सभी को जीवन जीने की आजादी एवं समान अधिकार मिले।
मानवाधिकारों को सबसे ज्यादा चुनौती गरीबी से मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक 17 बिन्दुओ पर सतत विकास लक्ष्य तय किया है, जिसमे मानवाधिकार के समस्त पहलुओं को फोकस किया गया है, जिसका पहला लक्ष्य पूरी दुनिया को गरीबी से मुक्ति को रखा गया है | दुनिया के तमाम देश गरीबी और भुखमरी से जूझ रही है | विश्वभर में हर 8 में से 1 व्यक्ति भूख के साथ जी रहा है। दुनियां में 24 हजार व्यक्ति रोजाना भुखमरी के शिकार होकर अकाल मौत मर जाते है। अर्थात हर मिनट 11 लोगों की मौत होती है ऐसे दौर में हम मानवाधिकारों की बात करते नहीं थकते यह सम्पूर्ण विश्व के लिए शर्मनाक है। इस वैश्विक सूचकांक में भारत का स्कोर 27.2 है. यह स्थिति गंभीर स्तर की मानी जाती है. भुखमरी मामले पर आये रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 107 देशों में हुए इस सर्वेक्षण में भारत 94वें नंबर पर है, सूडान के साथ अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत से कमज़ोर पाकिस्तान (88), नेपाल (73), बांग्लादेश (75) और इंडोनेशिया (70) जैसे देशों को हंगर- इंडेक्स में भारत से ऊपर जगह मिली है. मतलब ये कि वहां हालात भारत से भी बेहतर हैं. मानवाधिकारों की बात करने वालों के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं है।
मानवाधिकार हर प्राणी के लिए मायने रखता है वह चाहे अमीर हो या गरीब। दुनियां के हर संपन्न व्यक्ति और देश को भूख से पीड़ित लोगों को पेटभर खाना खिला कर उनके मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना होगा तभी हमारा सही अर्थों में मानवाधिकार दिवस मनाना सार्थक होगा। भूख और गरीबी से लोगों के जीने का अधिकार खतरे में पड़ जाता है तो अन्य मानवाधिकारों, जैसे- समानता, विचार अभिव्यक्ति, धार्मिक स्वतंत्रता आदि के बारे में बातें करना बेमानी है । बाल मजदूरी, महिलाओं का यौन शोषण, धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, जातिगत भेद-भाव, लूट-पाट, बलात्कार आदि सभी बातें मानवाधिकारों के खिलाफ जाती हैं। ऐसे मे रोटी बैंक चैरिटेबल ट्रस्ट सही मायने मे मानवाधिकार की लड़ाई लड़ते हुए व्यापक जन अभियान चला रहा है, जो वास्तव मे सरकार को करना चाहिए था,, रोटी बैंक हर दिन दो हज़ार गरीब जरुरतमंदो को निशुल्क भोजन उपलब्ध करा कर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य मे अपनी महती भागीदरी सुनिश्चित करा रहा है…

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