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जनजाति महिलाएं संस्कृति की संरक्षिका: वैश्विक पटल पर लाना आवश्यक: अर्जुन मुंडा। तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय अंतर विषय सम्मेलन का समापन समारोह संपन्न

सेन्हा भाटाचार्य
गोलमुरी स्थित ए. बी. एम महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित समाज के सशक्तिकरण ने अनुसूचित जाति जनजाति है महिलाओं का योगदान वैश्विक परिदिस्य में विषय तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय अंतर विषय सम्मेलन का समापन समारोह संपन्न हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ जमशेदपुर महिला महाविद्यालय के संगी विभाग के अध्यक्ष डॉ सनातन दीप के मधुर गीत से हुआ तत्पश्चात प्रचार्य प्रोफ़ेसर मुद्रिता चंद्रा ने सम्मेलन में उपस्थित सभी प्रतिभागियों तथा विदत जनों का स्वागत किया साथी कार्यक्रम में सम्मिलित होकर इसे सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया डॉक्टर किरन तिवारी (सहायक प्रध्यापिका, महिला महाविद्यालय रांची) ने विशिष्ट वक्ता अमेरिका इला प्रसाद का परिचय दिया। डॉ इला प्रसाद (अमरीका) ने अपने वक्तव्य मैं कहा नारी सशक्तिकरण जैसे विचार नहीं है शब्द पश्चिम देशों की देने है भारती संस्तुति में प्राचीन काल से ही नारी की गरिमामय स्थान रहा है डॉ ईला प्रसाद ने अपने महत्वपूर्ण वक्तव्य में भारत से बाहर बस जनजातीयो का भी परिचय दिया और कहा कि संसार की समस्त जनजातियो का मूल उद्देश्य है प्रकृति से जुड़े रहना। उन्होंने बताया कि अमेरिकी जनजातियों का संघर्ष दिन है यहां की जनजातियां समायोजन समुदाय के क्षेत्रों से अलग निवास करती है कि ऐसी महिलाएं जिन्होंने संघर्षों से जूझ करे समाज और राष्ट्र उठाने हेतू सहरानीय कार्य किया है। जनजातीय महिला सुसान ला फेलसच (डॉक्टर) एलीजा बर्टन वकील आईरिन बेडाड, जूलिया जोन आदि केंद्र में रही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में केंद्र मंत्री भारत सरकार अर्जुन मुंडा उपस्थित थे मंत्री अर्जुन मुंडा अपने वक्तव्य में नारी को महत्व देते बेवफा कि नारी के योगदान के बिना कोई कार्य संपन्न नहीं होता है साथ ही उन्होंने जा अभी कहा कि जनजातीय समुदाय अपनी संस्कृति और परंपरा का पालन करते हुए उन्हें बचाए रखना चाहते हैं जनजातियों का वैश्विक फलक पर वैश्विक चुनौतीयो की दृष्टि से विकास होना अपेक्षित है अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारतीय समाज की सस्ती विरासत को वेस्ट फलक पर प्रतिबिंबत करने के लिए सभी समुदायों को मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए कार्यक्रम में उपस्थित शोध धारा के संपादक डॉट राजेश पांडे ने संपादकीय संबोधन दिया जिसमें उन्होंने अति भाइयों को सोध की सूक्ष्म बारी की उसे अवगत कराते व्यक्ति शोध की स्थापना से ही राष्ट्र की राजनीतिक, धार्मिक, संस्कृति मान्यताओं का निर्धारण होता है शोध के विषय पुराने अथवा समय हो सकते हैं किंतु उसमें वर्णित वस्तु सदैव नवीन होने चाहिए। कार्यक्रम में संरक्षक संबोधन हेतु को नहाने विश्वविद्यालय चाईबासा के कुलपति प्रो. गंगाधर पांडव उपस्थित थे कुलपति ने अपने वक्तव्य में जनजातीय संस्कृति के मतों का बंधन करते हुए बताया कि जगन्नाथ पुरी में किसी जाति धर्म का भेदभाव की यह बिना ही पूजा अर्चना होती है इससे जुड़ी जनजाति महिलाओं की लोक कथा पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम के आयोजन समिति द्वारा प्रतिभागी मंतव्य भी आमंत्रित किए गए प्रतिभागी मंतव्य में डॉक्टर ज्योति ढोले (मध्य प्रदेश) तथा आश रानी पटनायक छत्तीसगढ़ में कार्यक्रम चयनित विषयों की प्रशंसा करते व कहा कि सम्मेलन के माध्यम से महिलाओं के कर्म को प्रकाश में लाया गया जो समय के पन्नों में छिपी हुई थी साथी उन्होंने भविष्य में इसी तरह के सम्मेलन आयोजित करने का आगरा किया है स्मार्ट पुकारे काम सम्मलित सभी अतिथियों के प्रति को लहान विश्वविद्यालय के कुलसचिव आभार व्यक्त क्या केंद्रीय मंत्री को विशेष आधार दिया क्योंकि उनकी उपस्थिति से एवं महाविद्यालय ही नहीं कोलाहल विश्वविद्यालय दी गौरवान्वित हुआ साथी अमेरिका से जुड़ी इला प्रसाद जी को भी आभार देते हुए कहा कि वक्तव्य हमारी आंखें खोलता है बेहतर उसे तकनीकी व्यवस्था के संचालन हेतु भावेश कुमार एवं कहा कि सराहना की प्रचार्य मुद्रिता चंद्रा तथा संपूर्ण आज एम समिति को बधाई दे देवें कार्यक्रम की सराहना की कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्रध्यापक डॉ अवध बिहारी पुराने किया सम्मेलन तथा लिखो ने से पांचा लिखो को उत्कृष्ट घोषित किया जिनके नाम है रश्मि सिंह, शिल्पी सुमन साहू, मीरा मुंडा, आशा रानी पटनायक, अरुणा कुमारी

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