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आईआईएम रांची, डिजीलॉकर की सुविधा शुरू करने वाला पहला आईआईएम बना

2018-20 बैच के छात्र उठा सकते हैं इस सुविधा का लाभ

रांची। आईआईएम रांची, भारत के सभी 20 आईआईएमों की श्रेणी में पहला आईआईएम बन गया है जहां MBA-HRM, PGEXP, PHD के 2018-20 बैच के छात्रों को डिजिलॉकर की सुविधा दी जा रही है। यहां के छात्र इस सुविधा का लाभ उठाकर डिजिलॉकर पर डिजिटल रूप से अपने पुरस्कार को प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें डिजिलॉकर पर अपनी आईडी बनानी होगी और वो इश्यूर के सर्च सेक्शन में क्लिक कर वांछित जानकारी भरकर अपना सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं। यह जानकारी, झारखंड, एसईएमटी, सलाहकार, श्री पंकज प्रवीण ने दी।
आईआईएम रांची के बाद अब झारखंड के अन्य शैक्षणिक संस्थान भी डिजिलॉकर पर छात्रों के प्रमाण पत्र अपलोड करने की दिशा में कार्य कर रहें हैं।
ज्ञातव्य हो कि डिजीलॉकर वर्चुअल लॉकर है, इसे डिजिटल इंडिया अभियान के तहत शुरू किया गया था. डिजीलॉकर, एक भारतीय डिजिटलीकरण ऑनलाइन सेवा है जो इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय(MeitY), की प्रमुख पहल है। डिजिलॉकर का उद्देश्य नागरिकों के डिजिटल दस्तावेज़ों को प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेज़ों तक पहुँच प्रदान करके देश को नागरिकों का ‘डिजिटल सशक्तिकरण’ करना है।
बता दें कि डिजिलॉकर सिस्टम में जारी किए गए दस्तावेजों को सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2016 के नियम 9ए के अनुसार मूल भौतिक दस्तावेजों के समान माना जाता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 अक्टूबर, 2016 को आयोजित अपनी बैठक में सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के पैटर्न पर अकादमिक पुरस्कारों के डिजिटल डिपॉजिटरी को राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी (एनएडी) के रूप में स्थापित करने की मंजूरी दी है।
आज दिनांक 30 जुलाई को झारखंड के सभी शैक्षणिक संस्थानों के नोडल अधिकारियों की भरचुअल वेविनार आयोजित किया गया, जिसमें प्रमाण पत्र अपलोड करने की प्रक्रिया की जानकारी दी गई।

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