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हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए भगवान ने लिया नरसिंह अवतार – मनीष शंकर

साकची अग्रसेन भवन में भागवत कथा का तीसरा दिन

जमशेदपुर। साकची श्री अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन बुधवार को व्यासपीठ से कथावाचक पंडित मनीष शंकर जी महाराज ने जड़ भरत चरित्र, अजामिल चरित्र, प्रहलाद चरित्र एवं नरसिंह अवतार की प्रसंग का विस्तार से व्याख्यान किया। अग्रवाल (नोपाका) परिवार गांवाड़ी निवासी द्धारा आयोजित ्भागवत कथा में महाराज श्री ने कहा कि भक्त प्रह्लाद पर हिरण्यकश्यप के अत्याचार की जब सभी सीमाएं पार कर गईं, तब भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया। जैसे हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था, वैसे ही भगवान ने उसका वध किया। महाराज श्री ने कहा कि प्रहलाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। किंतु राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप प्रहलाद की बात को कभी नहीं माना। ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संघार हुआ। कथा वाचक ने जड़ भरत चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि जड़भरत का प्रकृत नाम भरत है, जो पूर्वजन्म में स्वायंभुव वंशी ऋषभदेव के पुत्र थे। मृग के छौने में तन्मय हो जाने के कारण इनका ज्ञान अवरुद्ध हो गया था और वे जड़वत् हो गए थे जिससे ये जड़भरत कहलाए। जड़भरत की कथा विष्णुपुराण के द्वितीय भाग में और भागवत पुराण के पंचम काण्ड में आती है।
तीसरे दिन बुधवार को कथा में प्रमुख रूप से शंकर लाल अग्रवाल, शंभू खन्ना, शिवशंकर अग्रवाल, विनोद खन्ना, आनन्द अग्रवाल, विश्वनाथ अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल, अमरचंद अग्रवाल श्रवण कुमार अग्रवाल, दमोदर प्रसाद अग्रवाल समेत काफी संख्या में भक्तगण शामिल होकर कथा का आनन्द लिया। चौथे दिन गुरूवार को महाराज जी गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन प्रसंग, श्रीराम जन्म सहित विशेष रूप से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का प्रसंग सुनायेंगें।

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