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स्वर्णरेखा नदी किनारे नदी पूजन कर स्वर्णरेखा महोत्सव मनाया मनाया गया

जमशेदपुर। स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट और युगांतर भारती के तत्वावधान में आज सोनारी, दोमुहानी स्थित नदी तट सहित भुईयांडीह स्थित कल्याणनगर घाट और बारीडीह के बागुनहातु स्थित डोंगी घाट पर नदी पूजन कर स्वर्णरेखा महोत्सव मनाया गया। कोविड के कारण सीमित संख्या में स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित होकर स्वर्णरेखा नदी तट पर गये जहाँ पंडित विनोद पाण्डेय ने विधि विधान के साथ पूजन का कार्यक्रम सम्पन्न कराया। यह स्वर्णरेखा महोत्सव का 17वां वर्षगांठ है।

पूजन के पश्चात ट्रस्ट के ट्रस्टी आशुतोष राय ने संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय के मार्गदर्शन से स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट और युगांतर भारती के संयुक्त तत्वावधान में स्वर्णरेखा महोत्सव का कार्यक्रम विगत 17 वर्षों से मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वर्णरेखा नदी की सफाई के लिए ट्रस्ट की ओर से निरंतर प्रयास किया जाता रहा है। इस दिशा में कई कार्य हुए हैं परंतु अभी भी लोगों को जागरूक किये जाने की आवश्यकता है। नदी साफ रहेगी, पर्यावरण दूषित नहीं रहेगा, तो हम लोग कोरोना से भी लड़ सकते हैं। नदी को साफ सुथरा रखने के लिए ,आम जनता में जागरूकता लाने के लिए हम लोग यह महोत्सव मनाते हैं। उन्होंने बताया कि आज नदी के किनारे बड़े बड़े बिल्डिंग बनाए जा रहे हैं। जिससे नदियां प्रदूषित होती है। उन्होंने कहा कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए यह नदियां जीवन रेखा का काम करती है।

बागुन हातु, डोंगी घाट पर पूजन के पश्चात जरूरतमंदों के बीच गुड चूड़ा का भी वितरण किया गया । कार्यक्रम में मुख्य रूप से ट्रस्ट के सुबोध श्रीवास्तव, हरेराम सिंह, मनोज सिंह उज्जैन, राजेश झा, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, विकास गुप्ता, चुन्नु भूमिज, विजय नारायण, सन्नी सिंह, पी विजय कुमार,शंकर कर्मकार, अभिजीत चंद्रा, गोल्डन पांडे, संतोष श्रीवास्तव, भरत पांडे, मृत्युंजय सिंह, अशोक कुमार, शारदा देवी, किरण देवी, जमुना देवी, आशा शर्मा, गणेश चंद्रा, टकलू लोहार, विकास महानंद, सोनू, अनूप तिवारी, रघु राव,विकास गुप्ता, वंदना नामता, गौतम धर, श्यामू लोहार, सरिता पटेल, पुतुल सिंह, रंजीता राय, दीपक कुमार, रूपेश राय, अशोक स्वामी, टी राजकुमार, पवन रजक, दिलीप नामता, लालटू नामता, विक्रम नामता आदि विभिन्न घाटों पर मौजूद थे।

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