स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र की जन्मशती पर राज्यस्तरीय संगोष्ठी आयोजित
झारखंड के 14 मैथिली संस्थाओं ने एक मंच से मैथिली को सम्मान दिलाने के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया
जमशेदपुर। ललित नारायण समाजिक एवं सांस्कृतिक कल्याण समिति ने स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र के जन्मशताब्दी के अवसर पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें रांची, जमशेदपुर, सरायकेला, चाईबासा, हजारीबाग, बोकारो, देवघर, गोड्डा, धनबाद, डाल्टनगंज आदि से 14 मैथिल संस्थाओं ने भाग लिया। एक मंच से यह संकल्प लिया गया कि मैथिली को झारखंड में उचित स्थान दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। समन्वित रूप से सरकार से इस मुद्दे पर न्याय करने का आग्रह किया गया। सरकार का काम न्याय करना होता है, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी भाषा का अपमान करना नहीं।
मैथिली जोड़ने वाली भाषा है और मैथिली और संथाली को एक ही दिन 2003 में भारत की संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिला था। पहले भी संयुक्त बिहार में भी मैथिली और संथाली मिलकर कार्य करती रही है। झारखंड निर्माण के लिए पहला गीत भी मैथिली में ही देवघर के स्वर्गीय नंदू ओझा ने लिखा था।
आज का कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ। प्रथम सत्र ललित बाबू के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में साहित्य अकादमी में मैथिली के प्रतिनिधि डॉ० अशोक कुमार झा अविचल उपस्थित थे। उन्होंने संगठन की महत्ता पर बल दिया और सभी संगठनों को एक होकर अपने भाषा संस्कृति और समाज के लिए काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जो समाज संगठित होता है वो अपनी भाषा की समृद्धि के लिए, अपने सम्मान के लिए काम करता है। वर्तमान लोकतंत्र में लोगों के मध्य एकता की आवश्यकता है।
अतिथि के रुप में कोल्हान विश्वविद्यालय के श्री एम. के. मिश्रा उपस्थित थे उन्होंने समाज को मिलकर काम करने की दिशा करने की दिशा में प्रयास करने का आवाहन किया। प्रबंधन गुरु और सलाहकार श्री चंद्रेश्वर खां ने मैथिली की प्रतिष्ठा, झारखंड राज्य के निर्माण में मैथिली का योगदान, स्वर्गीय सदानंद झा के शहीद होने की बात करते हुए झारखंड के संबंध में विस्तार से अपनी बात को रखा। अन्य अतिथि श्री जयनाथ झा जोकि ललित बाबू के पारिवारिक सदस्य हैं, उनकी उपस्थिति से आयोजन गौरवान्वित हुया है। इस सत्र की अध्यक्षता श्री नवकांत झा ने की और स्वागत भाषण महासचिव श्री शंकर पाठक ने किया। मंच का संचालन श्री शिशिर कुमार झा द्वारा सम्पन्न हुआ।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता श्रीमति कुसुम ठाकुर ने किया जो समिति की उपाध्यक्ष और रोटेरियन है। इस सत्र में अतिथि के रूप में श्री परमानंद झा, श्री अरुण कुमार झा, श्री बालमुकुंद चौधरी आदि उपस्थित थे।
सभी संस्थानों मिलकर निम्न बिंदु पर विमर्श करके कार्य योजना तैयार की। जिसमें अपने अपने क्षेत्र के विधायक, जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन देने का कार्य किया जाएगा।
“मैथिली के लिए जो काम करेगा उसी के पक्ष में समाज भी काम करेगा” – ऐसी हुंकार भरी गयी। अपने अपने कार्य क्षेत्र में जागरूकता पैदा करने, एवं संगठित रूप से संयुक्त समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया। इस संगोष्ठी में हजारीबाग से हित नाथ झा, देवघर से हरिमोहन झा, रांची से अरुण झा, प्रेमचंद्र झा, जयंत झा, अमरनाथ झा, नंदीपति दास, धनबाद से एमके मिश्रा, चाईबासा से विकास झा, जमशेदपुर से ललन चौधरी, रविंद्र चौधरी, पंकज झा, सरायकेला से गंभीर सिंह आदि उपस्थित थे।
आयोजन में राजीव ठाकुर, विक्रम आदित्य सिंह, अशोक कुमार पंकज, पंकज कुमार राय, नवीन झा, अमित झा, बैजू मिश्रा, जयप्रकाश झा, धनंजय सिंह, बच्चन झा, गोपाल जी चौधरी आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।