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स्किल इंडिया ने की झारखंड के शैक्षिक संस्थानों में उद्यमिता को बढ़ावा देने की पहल

जमशेदपुर/रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मानिर्भर भारत के विज़न के अनुरूप, स्किल इंडिया झारखंड राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने जा रहा है। झारखंड के शैक्षिक संस्थानों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय उद्यमशीलता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (निस्बड) ने आज झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) रांची के साथ समझौता किया हैं। भारत में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा में इनोवेशन और उद्यमिता का सहयोग और एक साथ काम करने के लिए तथा नए कार्यक्रमों और नीतियों को साथ मिलकर डिजाइन करने के उद्देश्य से आज समझौता ज्ञापन पर दोनों संस्थान के अधिकारियों द्धारा हस्ताक्षर किए गए। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल की उपस्थिति में राष्ट्रीय उद्यमशीलता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (निस्बड) की निदेशक डॉ पूनम सिन्हा एवं वाइस चांसलर प्रोफेसर क्षिति भूषण दास, और झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के ऊर्जा इंजीनियरिंग विभाग के हेड डॉ देवदास लाता के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। समझौता ज्ञापन पांच साल की अवधि के लिए वैध होगा। उचित योजना, समीक्षा और कार्यान्वयन का सहयोग करने के लिए दोनों संस्थान आवश्यकतानुसार और समझौता ज्ञापन की अपेक्षाओं के अनुसार उपयुक्त प्रतिनिधियों की नियुक्ति करेंगे। समझौता ज्ञापन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि झारखंड पिछले एक दशक में स्टार्ट-अप का केंद्र बन गया है। यहाँ उभरते उद्यमों की संख्या बढ़ी है और इस राज्य ने धीरे-धीरे कई मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस ओरिएन्टेज कंपनियों के लिए जगह बनाई है। इसने राज्य की अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने में उल्लेखनीय योगदान दिया है और व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित की है। उद्यमी देश की अर्थव्यवस्था के चालक हैं; वे विकास और रोजगार को प्रोत्साहित करते हैं। कल के बडिंग इनोवेटर्स में उद्यमशीलता कौशल और भावना पैदा करना भारत को इनोवेशन का केंद्र बनाने की दिशा में देश के प्रयास का एक हिस्सा है। यह साझेदारी उभरते उद्यमियों के लिए एक अनुकूल ईकोसिस्टम बनाने का वादा करती है, जो देश के अनुसंधान और औद्योगिक विकास को भी बढ़ाएगी। इस तरह की पहल के साथ, मंत्रालय भारत में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा में इनोवेशन और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ रहा है और नई नीतियों और करिकुलम प्रोग्राम्स को सक्रिय रूप से साथ में डिजाइन कर रहा है।

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