FeaturedJamshedpurJharkhandNational

साकची रामलीला मैदान में फूलों की होली के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन

भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला की कथा सुनकर भक्तिरस में झूमने लगे श्रोता

जमशेदपुर। साकची श्री रामलीला मैदान में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा कें अंतिम दिन शुक्रवार को कथावाचक स्वामी सर्वज्ञानन्द जी महाराज ने तुलसी वर्षा, हवन-पूजन, कपिला तर्पण, सहस्त्रधारा, पूजा और विसर्जन कराया। साथ ही भागवत कथा के सारांश, उपसंहार, भगवान श्री कृष्ण की सोलह हजार एक सौ आठ रानियों व इनसे विवाह के पीछे के वास्तविक दर्शन, भगवान कृष्ण के द्वारका में राजपाठ, सुदामा से मित्रता, सुदामा की दरिद्रता के हरण प्रसंगों सहित भगवान श्रीकृष्ण की सबसे मधुर लीला महारास लीला की कथा सुनाकर महोत्सव को विराम दिया गया। श्री श्री रामलीला उत्सव समिति द्धारा आयोजित भागवत कथा के समापन पर शुक्रवार को होली उत्सव मनाया गया। इस दौरान संगीतमयी धुनों पर भक्त खूब झूमे। कथा के अंत में राधे-राधे-राधे बरसाने वाली राधे, गीत के साथ फूलों की होली खेली गई। राधे-कृष्ण सहित भक्तों को फूलों की वर्षा से नहला दिया गया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने फूलों और गुलाल की होली भी खेली।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जो कोई श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करे, घर में गाय व तुलसी का महत्व समझे और घर में श्रीमद् भागवत ग्रंथ रखे, उसे दैविक, दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिल जाती है। भगवान श्रीकृष्ण की सबसे मधुर लीला महारास लीला का वर्णन किया। कथा वाचक ने सात दिनों तक भागवत के विभिन्न प्रसंगों को संगीतमय प्रकृति से श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। कथा स्थल में श्री राधे-राधे की गूंज से वृंदावन धाम का अनुभव होता रहा। उन्होंने कहा कि शुकदेव जी ने परीक्षित को बताया कि भगवान की कथा को श्रद्धा और विश्वास के साथ इस प्रकार से सुनें तो सात दिनों के अंदर श्रोता भगवान को स्वयं प्राप्त कर सकते हैं। कथा सुनकर श्रोतागण भक्तिरस में झूमने लगे। श्रीमद् भागवत कथा समापन के मौके पर हवन का आयोजन किया गया। जिसमें श्रद्धालुओं ने सपत्नी आहुति डालकर मनौतियां मांगीं। इसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
इनका रहा योगदानः- कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को यजमान क्रमशः शीला-मनोज कुमार मिश्रा, लक्ष्मी-पवन अग्रहरि, गायत्री-ब्रजेश बाजपेयी, विकास सिंह थे। सात दिवसीय कथा को सफल बनाने में प्रमुख रूप से डा. डीपी शुक्ला, रामफल मिश्र, रामगोपाल चौधरी, शंकर सिंघल, गया प्रसाद चौधरी, रामकेवल मिश्र, पवन अग्रहरी, मनोज कुमार मिश्र, अनिल कुमार चौबे, नवल झा, महेश तिवारी, प्रदीप चौधरी, मनीष मिश्रा, द्धारिका प्रसाद, प्रमोद खंडेलवाल, अवधेश मिश्रा, रोहित कुमार मिश्र, संजय सिंह, दिलीप चौधरी, प्रदीप चौधरी, गौरीशंकर, बसंत, अनुज आदि का योगदान रहा।

Related Articles

Back to top button