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राज्य सरकार द्वारा 10 गुना कोर्ट फी में बढ़ोतरी को राजेश शुक्ल ने बताया अनुचित

– राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजा ई मेल, बढ़ोतरी वापस कराने का किया आग्रह

जमशेदपुर: झारखण्ड स्टेट बार कौन्सिल के वाइस चेयरमैन और सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने झारखंड सरकार द्वारा बिना स्टेट बार कौन्सिल और जिला और अनुमंडल अधिवक्ता संघो को विश्वास मे लिए झारखण्ड मे कोर्ट फी सहित अन्य न्यायिक क्षेत्र के उपयोग मे आने वाले कागजातो के दरो मे बेतहाशा बृद्धि करने को पुरी तरह अनुचित बताया है और झारखण्ड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ई मेल भेजकर इसे शीघ्र वापस करने की मांग की है।
शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के भी राष्ट्रीय महामंत्री है ने लिखा है की राज्य के कई जिलो मे मुवक्किल अधिवक्ताओं को बड़ी मुश्किल से उनकी फिस दे पाते है कोर्ट फी मे 10 गुना बढ़ोतरी करने से क्या वे न्याय के लिए अदालतो मे कोर्ट फी दे सकेंगे। गरीबो और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोंगो मे भी रोष है।
शुक्ल ने लिखा है की पिछले दिनो झारखण्ड स्टेट बार कौन्सिल की आम सभा मे भी इस बढ़ोतरी पर नाराजगी जताई गई है। शुक्ल ने लिखा है की कोरोना की वैश्विक महामारी मे भी अधिवक्ताओं के लिए राज्य सरकार ने कोई आर्थिक पैकेज नही दिया। जबकी दूसरे राज्यो मे आर्थिक पैकेज युवा अधिवक्ताओं को मिले। 400 से अधिक अधिवक्ता उस दौरान पुरे राज्य मे स्वर्गवासी हो गए। शुक्ल ने लिखा है की राज्य सरकार के पास झारखंड स्टेट बार कौन्सिल ने राज्य केअधिवक्ताओं के कल्याणकारी योजनाओं मे बजटीय प्रावधान के लिए और राज्य मे एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग को लेकर कई बार ज्ञापन सौपा और पत्र भेजा लेकिन राज्य सरकार उस दिशा मे अब तक उदासीन रही है। कौन्सिल के सदस्यों ने भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री को दूसरे राज्यों के अधिसूचना को लगाते हुआ ज्ञापन सौपा है। राज्य मे अधिवक्ताओं को आधारभूत संरचना के अभाव मे कई जिलो और अनुमंडलो मे अपना कार्य निष्पादन करना पड़ता है। लेकिन सरकार उस दिशा मे कोई योजना नही बनायी है। जिससे राज्य के अधिवक्ताओं मे रोष है। आज भी जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है अधिवक्ताओं को बैठने तक की बेहतर व्यवस्था नही है। राज्य के कई जिलो मे अधिवक्ता मैदान मे तम्बू या बरसाती लगाकर बैठते है, शुध्द पानी तक की व्यवस्था का अभाव है। देश के दर्जनो राज्यो मे वहा की सरकारो ने अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी बनाने मे निधि का आवंटन किया है। लेकिन झारखण्ड सरकार को अभी तक इस पर सोचने की फुर्सत नही मिली है।
शुक्ल ने झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से राज्य के गरीब लोंगो के हित मे कोर्ट फी बढ़ोतरी को वापस कराने पर विचार करने तथा उसे अविलंब वापस कराने का आग्रह किया है। ताकी गरीब और आर्थिक रुप से पिछड़े लोंग आर्थिक कठिनाई मे न पड़े। साथ ही राज्य मे अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजना के लिए बजट मे निधि आवंटन करने और झारखंड मे एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट शीघ्र लागू कराने की भी मांग की है। श्री शुक्ल ने ई मेल की प्रती भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू को भी भेजा है।

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