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झारखंड में इंटरमीडिएट शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों का है बुरा हाल अपने ही वेतन के लिए वेतन के लिए करना पड़ता है लंबा इंतज़ार अपने अन्य कई परेशानियों को लेकर मिले विधायक सरयू राय से कराया अपनी समस्याओं से अवगत


जमशेदपुर;झारखंड के विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों के इंटर संकाय में दशकों से शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मी अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिनकी संख्या झारखंड राज्य स्थित लगभग 65 अंगीभूत महाविद्यालयों में हज़ारों में मौजूद है । विदित हो कि झारखंड अधिविध परिषद (जैक) के अनुमति उपरांत महाविद्यालयों में प्रचार्य के हस्ताक्षर द्वारा तृतीय कर्मियों को ₹ 8000, चतुर्थ कर्मियों को ₹ 6000 एवं शिक्षकों को ₹ 400 प्रति कक्षा एवं अधिकतम ₹ 12000 मासिक भुगतान किए जाने का प्रावधान है । शिक्षक एवं कर्मचारियों को वेतन मद में दी जाने वाली यह राशि एक व्यक्ति के परिवार के भरण पोषण हेतु अपने आप में काफी न्यूनतम है । दुर्भाग्य तो यह है कि यह उपरोक्त राशि भी हम सबों को ससमय भुगतान नहीं हो‌ पाता । कभी-कभी इसे प्राप्त होने में वर्षों का समय लग जाता है । इसके अलावे शिक्षकों को दी जाने वाली राशि ₹400 प्रति कक्षा एवं अधिकतम देय ₹12000 भी लगभग 95 प्रतिशत शिक्षकों को ₹ 3000 से ₹ 9000 तक ही प्राप्त होना सुनिश्चित हो पाता है । यहां तक कि कक्षा आधारित मानदेय होने कारण अवकाश के दिनों यथा गृष्मावकाश एवं विभिन्न त्योहार आदि की छुट्टियों में मानदेय के रूप में कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता । ऐसे में शिक्षकों की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती चली जा रही है ।उनलोगों ने विधायक सरयू राय के माध्यम से मांग की है कि झारखंड राज्य के अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को यथाशीघ्र समायोजित कर स्थाई की जाए,सरकार द्वारा किसी भी कारणवश समायोजन या स्थायीकरण न कर पाने की स्थिति में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए न्याय निर्णय के आलोक में समान काम हेतु समान वेतन को लागू कर 60 वर्षों तक की सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए,सरकार की पहल पर अनुबंध एवं संविदा कर्मियों के स्थायीकरण हेतु बनाए गए उच्च स्तरीय समिति में अंगीभूत महाविद्यालयों के इंटरमीडिएट शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को शामिल कर सेवा शर्त नियमावली बनाकर एक कल्याणकारी राज्य की भांति समाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित की जाए,नई शिक्षा नीति के लागू होने उपरांत इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद न हो, यह सुनिश्चित किया जाए । पढ़ाई बंद होने की स्थिति में हजारों की संख्या में मानव संसाधन बेरोजगार हो जाएंगे ।
इन्ही सब मांगो को लेकर शिक्षकों ने विधायक सरयू राय के द्वारा सरकार से यह मांग की ताकि उनका भी जीवन सुखमय हो सके।

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