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झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी बच्चों में कुपोषण की जांच अब झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग करेगा

जमशेदपुर। झारखण्ड के ग्रामीण एवं आदिवासी परिवेश मे रहने वाले बच्चों मे कुपोषण की जाँच अब झारखण्ड ऱाज्य मानवाधिकार आयोग करेगा। यह निर्देश नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ऱाज्य मानवाधिकार आयोग को दिया है। उक्त आशय की जानकारी एनएचआरसी ने मामले के शिकायत कर्ता एवं मानवाधिकार संगठन व रोटी बैंक के चेयरमैन मनोज मिश्रा को मेल के माध्यम से दी है।

एनएचआरसी ने झारखण्ड ऱाज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव को पत्र भेजकर मामले की जाँच कर न्याय संगत कार्यवाही करने को कहा है। एनएचआरसी ने केश संख्या 1022/34/6/2023 दर्ज करते हुए इसे झारखण्ड ऱाज्य मानवाधिकार को स्थानान्तरित किया है तथा इसे झारखण्ड ऱाज्य क्षेत्र के अंतर्गत का मामला बताते हुए इसे मानवाधिकार हनन का गंभीर विषय वस्तु बताया है। उल्लेखनीय है कि मनोज मिश्रा के नेतृत्व मे मानवाधिकार संगठन एवं रोटी बैंक की एक टीम ने जुलाई माह मे पूर्वी सिंहभूम स्थित बड़ाबांकी एवं अन्य आदिबासी बहुल क्षेत्र का दौरा किया था, जिसमे सबर वर्ग से जुड़े परिवार सहित क्षेत्र के बच्चे एवं महिलाएं कुपोषण एवं एनीमिया से ग्रसित देखे गये थे। बड़ाबांकी आंगनबाड़ी केंद्र को लेकर लोगो मे असंतोष देखा गया था, क्षेत्र मे पीने के पानी सहित स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव देखा गया था। यहीं स्थिति अन्य क्षेत्रों मे भी पाई गयी थी। मनोज मिश्रा ने बताया कि झारखण्ड का गठन यहां के आदिवासी एवं मूल वासियों के सम्पूर्ण विकास जैसे पुनीत उदेश्यो को लेकर किया गया था वही वर्ग आज अपने मौलिक अधिकार से वंचित है। गांव मे सबर परिवार की महिलाये पौष्टिक आहार किसे कहते है नही जानते, यह बेहद ही शर्मनाक है। उन्होने कहा पुरे मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भेजा गया था, जिसके बाद यह कार्यवाही हुई है। मनोज मिश्रा के साथ दौरे मे सलावत महतो,रेणु सिंह, अनिमा दास, ऋषि गुप्ता, देवाशीष दास, सुभश्री दत्ता, अभिजीत चंदा उपस्थित थे।

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