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CAG केजरीवाल के सरकारी बंगले का ऑडिट करेगा: रेनोवेशन पर 53 करोड़ रुपए खर्च करने का आरोप, LG ने गृह मंत्रालय से की थी सिफारिश

राजेश कुमार झा

भाजपा नेता तेजिंदर बग्गा ने अरविंद केजरीवाल के नए बंगले की यह फोटो शेयर की थी। उन्होंने इसे शीशमहल बताया था।

अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले के रीकंस्ट्रक्शन विवाद के बीच अब CAG इसकी जांच शुरू करेगा। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास के रीकंस्ट्रक्शन के दौरान हुई अनियमितताओं और उल्लंघनों की इंक्वायरी करेंगे।

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 24 मई को पत्र लिखकर बंगले के विशेष CAG ऑडिट की सिफारिश की थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने इस पर एक्शन लिया है। इसके पहले मुख्य सचिव ने 27 अप्रैल और फिर 12 मई को LG को इस बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

इन रिपोर्ट्स के मुताबिक केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन पर 33.49 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, वहीं उनके ऑफिस पर 19.22 करोड़ रुपए खर्च किए गए। पुराने बंगले को रेनोवेशन के नाम पर गिराकर नया बंगला बनाया गया था।

AAP का बयान- CAG ऑडिट पिछले साल हुआ, कोई अनियमितता नहीं मिली
CAG ऑडिट की बात सामने आते ही AAP ने कहा कि इस फैसले में हताशा की बू आ रही है। BJP को 2024 के चुनावों में हार की आशंका है। सीएम आवास पर पुनर्निर्माण खर्च की CAG जांच पिछले साल हो चुकी है। उसमें अनियमितता का कोई सबूत नहीं मिला।

AAP की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने ये वीडियो शेयर कर कहा था कि केजरीवाल के पुराने बंगले की छत 3 बार गिर गई थी। इसलिए बंगले का रेनोवेशन जरूरी था।

LG की चिट्ठी की बड़ी बातें…

रीकंस्ट्रक्शन के नाम पर पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट (PWD) ने नई इमारत बना दी।

काम शुरू करने से पहले लोक निर्माण विभाग ने संपत्ति के स्वामित्व का पता नहीं लगाया।

लागू भवन उपनियमों के संदर्भ में भवन योजनाओं की जरूरी मंजूरी PWD की भवन समिति से नहीं ली गई।

शुरुआत में मुख्यमंत्री आवास में अलग से कंस्ट्रक्शन होना था, हालांकि बाद में मौजूदा इमारत को गिराकर नए निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

इस काम की शुरुआती लागत 15 से 20 करोड़ रुपए थी, लेकिन इसे समय-समय पर बढ़ाया गया।

मुख्यमंत्री आवास पर कुल 52 करोड़ 71 लाख 24 हजार 570 रुपए (लगभग 53 करोड़ रुपए) खर्च हुए, जो शुरुआती अनुमान से तीन गुना से भी अधिक है।

एमपीडी-2021 यानी दिल्ली के मास्टर प्लान का उल्लंघन भी हुआ, जो जमीन से जुड़े मामलों में देश का कानून है।

28 पेड़ काटने की टुकड़ों में परमिशन ली LG की चिट्ठी में यह भी कहा गया कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक 10 से ज्यादा पेड़ काटने या उनकी शिफ्टिंग के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी जरूरी होती है।

इससे बचने के लिए पहले 9, फिर 2, उसके बाद 6-6 और आखिर में 5 यानी कुल 28 पेड़ काटने के लिए पांच हिस्सों में परमिशन ली गई। हालांकि पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन से जुड़ा यह मुद्दा एनजीटी में लंबित है।

PWD ने कहा था- बंगला तोड़कर नया बनाया जाए विजिलेंस की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में तत्कालीन PWD मिनिस्टर ने केजरीवाल के बंगले (6, फ्लैग स्टाफ रोड) में बदलाव का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था कि बंगले में एक ड्राइंग रूम, दो मीटिंग रूम और 24 लोगों की क्षमता वाला एक डाइनिंग रूम बनना चाहिए। इसके लिए बंगले की दूसरी मंजिल बनाने का प्रस्ताव था।

हालांकि दिल्ली सरकार के पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट (PWD) ने कहा था कि बंगले को तोड़कर उसी परिसर में नया बंगला बनाया जाना चाहिए। PWD ने कहा कि बंगला 1942-43 के दौरान बना था। इसे बने 80 साल हो गए हैं, इसलिए इसके ऊपर नई मंजिल बनाना सही नहीं होगा।

PWD ने कहा कि उसी परिसर में नया बंगला बनना चाहिए। उसके पूरा बनने के बाद केजरीवाल उसमें शिफ्ट हो जाएंगे और पुराने बंगले को गिरा दिया जाएगा। इस सलाह के आधार पर ही वहां नया बंगला बनाया गया।

BJP का आरोप था- केजरीवाल के बंगले पर 45 करोड़ खर्च हुए
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दो महीने पहले दावा किया था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का घर और ऑफिस सजाने में 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। केजरीवाल घर नहीं, शीश महल में रहते हैं। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

भाजपा के मुताबिक CM हाउस पर खर्च हुआ पैसा

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