FeaturedJamshedpurJharkhand

जीवन में अहंकार नहीं पालना चाहिए, जन्म और मौत समय पर निश्चित – विजयशंकर परमात्मा को प्राप्त करने के लिए मन, वचन और कर्म से एक हो जाएं-पंडित मेहता

जुगसलाई श्री राजस्थान शिव मंदिर में संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा का समापन

जमशेदपुर। जुगसलाई श्री राजस्थान शिव मंदिर परिसर में जीवन प्रबंधन गुरू पंडित विजयशंकर मेहता की संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा का समापन सातवें दिन शुक्रवार को सुमधुर भजनों और हवन पूजन के साथ हुआ। शुक्रवार को सुबह 10 बजे व्यास पीठ से पंडित मेहता ने उद्धव गीता, भगवान का स्वधाम गमन, परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों की व्याख्या परिवार प्रबंधन और समर्पण सूत्र के आधार पर की। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण लाभ लिया। उन्होंने कहा कि जीवन में अहंकार नहीं पालना चाहिए। जिसने जन्म लिया हैं, उसे एक दिन मौत आना ही हैं। भागवत मरने की कला सिखाती हैं। यह मोक्ष का ग्रंथ हैं। कृष्ण ने उद्धव से कहा था मुझे पाना हो तो सत्संग करना पड़ेगा। भगवान श्रीकृष्ण हमें यह संदेश देते हैं कि 11 काम (योग, ज्ञान, धर्म का पालन, स्वयं का अध्ययन, तपस्या, त्याग, सेवा कार्य, दान, तीर्थ, वेद, यम-नियम) करने के बाद भी मुझे वश में नहीं कर सकता। सिर्फ सत्संग मुझे वश में कर सकता हैं। कथा के दौरान पंडित मेहता ने कहा कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए मन, वचन और कर्म से एक हो जाएं। जब कोई किसी से सार्वजनिक रूप से मिलता हैं तो कहता हैं – अरे वाह बहुत दिनों बाद मिले। उसी समय मन कहता है – ये दुष्ट अभी दिखना था। सब लोग यही कर रहे हैं। सोचिए, दंनिया से तो छुपा लेंगे, लेकिन उपर वाले की अदालत में तो सोचने पर भी दंड मिलता हैं। आज की कथा में समाजसेवी रामगोपाल बंसल (कोलकाता), दिलीप गोयल शामिल हुए और पंडित मेहता जी से आशीर्वाद लिया। हवन पूजन के बाद सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

हवन पूजनः- कथा की पूर्णाहुति पर जुगसलाई श्री राजस्थान शिव मंदिर परिसर में शुक्रवार को स्थानीय पुजारी मूलचंद शर्मा, दिपक जोशी, सत्यनारायण शर्मा एवं मनीष शर्मा गोलू ने संयुक्त रूप से हवन पूजा करायी। पूजा के मुख्य यजमान बीणा-जयराम चौधरी थे। पुजारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि हवन में काम ली जाने वाली जड़ीबूटी युक्त हवन सामग्री, शुद्ध घी, पवित्र वृक्षों की लकड़ियां, कपूर, नारियल आदि के जलने से उत्पन्न अग्नि और धुएं से वातावरण शुद्ध होता है। साथ ही वायुमंडल में विद्यमान सभी प्रकार की महामारियों के विषाणु भी नष्ट होते हैं। अतः वातावरण को शुद्ध बनाने के लिए हमें हवन करना चाहिए।
परिवार प्रबंधन के सात सूत्रः- पंडित विजय शंकर मेहता ने कथा की व्याख्या परिवार प्रबंधन के सात सुत्रों के आधार पर की। पहले दिन-संयम, दूसरे दिन-संतुष्टि, तीसरे दिन-संतान, चौथे दिन-संवेदनशीलता, पांचवें दिन-संकल्प, छठे दिन-सक्षम और सातवें दिन-समर्पण के आधार पर कथा की संगीतमयी व्याख्या की।
भजनों की प्रस्तुति में योगदानः- कथा के दौरान सातों दिन संगीतज्ञ विशेष ठाकुर, (सिंथेसाइजर), पंडित सरल ज्ञानी (हार्माेनियम), बाबूलाल सूर्यवंशी (ढोल), शरद माथुर (तबला) तथा कमल शर्मा (ऑक्टोपेड) की संगत ने कथा से जुड़े प्रसंगों के आधार पर भजनों की शानदार प्रस्तुतियां दी गयी।
इनका रहा योगदानः- सात दिवसीय इस धार्मिक कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख रूप से जयराम, नवनीत, निकेश, रतन, पुरूषोतम, आनन्द, विशाल, मनोहर, बंटी, सुनील, बिल्लू, श्रवण, निशी, नेहा, श्वेता, सुरेश, विष्णु, कैलाश, अमित, अनुप समेत चौधरी परिवार के सभी सदस्यों का योगदान रहा।

Related Articles

Back to top button