जादूगोड़ा से सुंदरनगर तक स्पीड ब्रेकर की भरमार, आने जाने वाले को झेलनी पड़ती है परेशानी
सौरव
जादूगोड़ा से सुंदर नगर तक स्पीड ब्रेकर की भरमार है, जिसके कारण आने जाने वाले वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है लोग सड़क दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं। जादूगोड़ा से सुंदरनगर के बीच में लगभग 2..4 जगह ऊंचे स्पीड ब्रेकर हैं। वो स्पीड ब्रेकर नहीं मौत का मसाला है। मैं खुद एक दो बार गिरते-गिरते बचा हूं।
खैर छोड़िए राहत वाली बात यह है जादूगोड़ा में कुछ दिन पहले स्पीड ब्रेकर पर सफेद पट्टी डालते हुए देखे गए हैं। क्या आपको पता है?
गति अवरोधक पर सफेद पट्टी डाल देने से क्या होगा?
मैं आपको बताता हूं पहले क्या होता था? जनहित के लिए गतीअवरोध तो बना दिया लेकिन उसे मार्क करना भूल गए इसके कारण ,सुपर कॉरिडोर से आने वाले वाहन *तेज गति में आते थे जब उनकी नजर सामने गति रोधक पर पड़ती तो उन्हें अचानक ब्रेक लगाने पड़ते जिससे वो खुद भी परेशान होते और उनके पीछे चलने वाले दूसरे वाहन चालक भी, बहुत तेजी से जर्क करना, अगर गाड़ी बहुत ज्यादा स्पीड में है तो गाड़ी पलटने का भी खतरा होता था। बहुत सारे एक्सीडेंट भी हुए इस रास्ते में.लेकिन अब क्या है।
गति अवरोधक पर सफेद पट्टी बन जाने के बाद वाहन चालकों दूर से ही गति अवरोधक दिख जाएंगे और वे अपने वाहन की गति कम कर लेंगे जिससे वह भी संभल जाएंगे और दुर्घटना में काफी कमी आएगी।
सडक पर चलने वाले वाहन चालको का उन सभी कारणों के लिए चालान होता है जिनसे दुर्घटना संभावित है जैसे लाइट का काला न करना , हेलमेट का न होना, प्रेशर हॉर्न का प्रयोग , इंडिकेटर का टुटा होना वाइपर का न होना, ओवरस्पीड , यहाँ तक की सर्दियों मैं अगर जूते की जगह चप्पल पहने हो तो भी चालान पक्का है। कुछ ऐसे कारन जो सोशल जिम्मेदारी को पूरा न कर पाने के लिए चालान होते हैं। जैसे प्रदूषण का न होना, बीमा न होना हेल्मट, लेकिन कुछ कारन ऐसे हैं जिनसे सबसे ज्यादा दुर्घटनाये होती है। जैसे सडक का टूटे होना। स्पीड ब्रेकर का गलत ढंग से बने होना, रेडलाइट का खराब होना। सडको के पास कूड़े के ढेर होना। बिना चेतावनी के तीखे अंधे मोड़ का होना तो क्या इन कारणों के लिए जिम्मेदार तत्व जैसे कभी नगर पालिका, निगम, पी डब्लू डी, पुलिस क्या इनके भी चालान की व्यवस्था है। यह सभी व्यवस्था सिर्फ जनता के लिए ही हैं?