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जनता ने समस्याओं को लेकर पहुंचे सरयू राय के पास, समस्याओं से कराया अवगत

जमशेदपुर। गुरुवार को सुबह भुरकुण्डा, भदानीनगर में करीब एक दर्जन नौजवान राँची स्थित सरकारी निवास पर पहंुचे और उन्होंने बताया कि भुरकुण्डा रेलवे स्टेषन पर ही पिछले कुछ वर्षों से कोयला की रेलवे साईडिंग चल रही है। जिसके कारण भीषण प्रदूषण हो रहा है। उनके आग्रह पर मैं आज शाम चार बजे भुरकुण्डा रेलवे स्टेषन स्थित रेलवे साईडिंग पर गया तो वहां यह देखकर मुझे अचरज हुआ कि कैसे झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने यह रेलवे साईडिंग स्थापित करने और उसे चलाने का अनुमति दे दिया है। इसके लिए रेलवे के अधिकारी और सीसीएल के अधिकारी भी समान रूप से दोषी है। भुरकुंडा रेलवे स्टेशन के ठीक बगल में कोयले का पहाड़ खड़ा कोयले की ढुलाई चल रही थी। स्टेषन के पूरे प्लेटफॉर्म पर कोयले की धूल बैठी हुई है। देखने से लगता है कि यह केवल रेलवे साईडिंग नहीं है बल्कि रेलवे का कोयला का स्टॉक यार्ड है। 60-70 फीट की ऊँचाई तक कोयले का पहाड़ खड़ा है। एक तरह गर्मी के कारण कोयले के भंडार में आग लग गई है और निरंतर धुँआ और ज्वाला निकल रहा है। वहां से कोयला लदे हाईवा जो बाहर जा रही है वे बिना ढंके हुए ही जा रही है। आसपास के करीब 20 गाँवों के लोग वहां इकट्ठे थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि लगभग साठ हजार की आबादी के बीचोबीच रेलवे साइडिंग बना दिया गया है। यहां धूल कण इतना ज्यादा है सांस लेने में भी दिक्कत होती है। लोगों ने बताया कि कई लोग अपना मकान छोड़ कर जा चुके हैं। महिलाओं ने बताया कि उनका अपने घरों के छतों पर सोना दूभर हो गया है। उनके बाल्टी में रखे पानी पर काली धूल की परत जम जा रही है। नाक और मुँह धोने से कोयले की धूल निकलती है। खेतों में भी कोयले का बुरादा पड़ने से उनकी खेती खराब हो रही है। उनके खेतों में उगने वाली सब्जियों पर काली धूल की परत जम जा रही है। उनके खेत जल जा रहे हैं। कुल मिलाकर कोयले से रेलवे साईडिंग के आसपास की आबादी का जीना मुष्किल हो गया है। वहां के लोग साँस, पीठ और हृदय रोग के षिकार हो गये हैं साथ ही प्रदूषण जनित अन्य बीमारियों से भी बुरी तरह ग्रसित हैं।

मैंने यह विभत्स दृष्य देखा तो लगा कि रेलवे, सीसीएल, जिला प्रषासन और झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अधिकारी ग्रामीणों को धीमा जहर दे रहे हैं और यह ग्रामीणों की हत्या के अपराधी है। भुरकुण्डा रेलवे साईडिंग पर जितना ऊँचा और लम्बा कोयले का भंडार खड़ा है उतना भंडार केवल कोयला खदानों पर ही दिखाई पड़ता है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि यहां कोयला में आसपास के उद्योगों की छाई मिला दी जाती है और काली कमाई का गोरखधंधा भी चल रहा है। जब वे इस बारे में आवाज उठाते है तो थाना-पुलिस, रेलवे की जीआरपी उनको 107 की नोटिस थमा देते है और उन्हें थाना में ले जाकर बैठा देते है। रेलवे के अधिकारी उनकी झोपड़ियों को हटा देने की धमकी देते है। कुल मिलाकर ग्रामीण सरकार के शासन से भी प्रताड़ित है और कोयले के प्रदूषण से भी प्रताड़ित है। उन्होंने अनेकों बार रामगढ़ के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया, परन्तु कोई सुनवाई और कार्रवाई नहीं हुई। रेलवे साईडिंग स्थापित करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के जो आदेष है, उसका भी यहां खुला उल्लंघन हो रहा है।

मैं माँग करता हूँ कि भुरकुण्डा रेलवे स्टेषन पर स्थित रेलवे साईडिंग को बंद किया जाय। जिन्होंने वहां रेलवे साईडिंग स्थापित करने की अनुमति दिया है और जो उसका संचालन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय। सीसीएल और रेलवे के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया जाय और रामगढ़ जिला के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक से सरकार स्पष्टीकरण पूछे कि क्यों नहीं इस अमानवीय कार्य के लिए उन पर कार्रवाई की जाय।

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