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पीएम मोदी देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को अडानी समूह को बेच रहे हैं : कांग्रेस

पीएम मोदी देश की विदेश नीति को कमजोर कर रहे हैं : कांग्रेस

चाईबासा : देश में बढ़ती महंगाई, उच्चतम बेरोज़गारी और कुशासन की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे का दंश झेल रहे देशवासियों के साथ कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। लेकिन एक ज़िम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित इस पूरे अडानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चिंतित हैं। इसलिए हम सरकार को उसकी ज़िम्मेदारी से भागने की इजाज़त नहीं दे सकते और आज हम अडानी के हैं कौन’ श्रृंखला में झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के निर्देशानुसार
जिला कांग्रेस कमिटी , प०सिंहभूम के तत्वाधान में गुरुवार को कांग्रेस भवन , चाईबासा में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया ।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर दास ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राहुल गांधी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय कार्यवाही से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं।
देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है और इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं। भारत के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और वे मोदी जी और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच संपूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते हैं। वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतर्राष्ट्रीय ख़ुलासे पर चुप क्यों हैं?
हम किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609 वें से दूसरे स्थान पर पहुँचने के ख़िलाफ़ नहीं है। लेकिन हम निसंदेह केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के ख़िलाफ़ हैं क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक खास व्यक्ति द्वारा हमारी अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकाधिपत्य स्थापित करने के ख़िलाफ़ हैं।
हम जानना चाहते हैं कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जाँच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है।

कांग्रेस जिला प्रवक्ता जितेन्द्र नाथ ओझा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत वापस लाने और हर नागरिक के बैंक खाते में 15-20 लाख रुपए डालने का वादा किया था लेकिन आज की कड़वी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विस फ्रैंक्स (30,500 करोड़ रु. से अधिक) पर पहुँच गया है।
हम जानना चाहते हैं कि टैक्स हेवन देशों से संचालित होने वाली विदेशी शेल कंपनियों से भारत आने वाले काले धन का असली मालिक कौन है? क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा ? काले धन पर प्रधानमंत्री के वादे का क्या हुआ?
प्रधानमंत्री ने कई बार भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी निष्ठा और नीयत की बातें की है लेकिन उनके करीबी मित्र स्पष्ट तौर पर ऐसे अवैध कार्यों में लिप्त रहे हैं जो आम तौर पर माफ़िया, आतंकी और शत्रु देश रहते हैं।
वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी, सीबीआई और DRI ( खुफ़िया राजस्व निदेशालय) जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक या सैद्धांतिक प्रतिद्वंदियों को डराने-धमकाने के लिए किया है, साथ ही उन व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए भी किया है जो उनके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं।

1992 में हर्षद मेहता मामले की जाँच के लिए एक जेपीसी का गठन हुआ था जबकि 2001 में एक जेपीसी ने केतन पारेख मामले की जाँच की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, दोनों को करोड़ों भारतीय निवेशकों को प्रभावित करने वाले घोटालों की जाँच के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों पर विश्वास और भरोसा था। प्रधानमंत्री मोदी को किस बात का डर है? क्या उनके अधीन एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष जाँच की कोई उम्मीद है?

जब यह धोखाधड़ी हो रही थी तो सेबी (SEBI) क्या कर रहा था ?
अडानी समूह के ख़िलाफ़ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद शेयरों की कीमतों में गिरावट से उन लाखों निवेशकों को नुकसान पहुँचा जिन्होंने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी समूह के शेयरों में निवेश किया था। 24 जनवरी और 15 फ़रवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में ₹10,50,000 करोड़ रु. की गिरावट आई। 19 जुलाई, 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जाँच के दायरे में है। फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया।

जिला बीस सूत्री सदस्य सांसद प्रतिनिधि त्रिशानु राय ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले कई सालों में सीएजी, सीबीआई जैसी सभी सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं पर चाहे नियंत्रण कर लिया हो लेकिन सत्य हमेशा सामने आ ही जाता है, उसे ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर दबाया नहीं जा सकता है। भाजपा के कई और गुप्त भेद आने वाले समय में उजागर होंगे।

सदर प्रखंड अध्यक्ष दिकु सवैयां ने कहा कि यूपीए ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा बगेरहाट , बांग्लादेश में 1 ,320 मेगावाट का थर्मल प्लांट लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे । प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून, 2015 को उनकी ढाका यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए झारखंड के गोड्डा में एक थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करेंगे ।

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