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गैर राजनीतिक सामाजिक संगठन झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने आज मुंख्यमंत्री और राज्यपाल को छह सूत्री मांग पत्र सौंपा

चाईबासा।गैर राजनीतिक सामाजिक संगठन झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने आज मुंख्यमंत्री और राज्यपाल को छह सूत्री मांग पत्र प्रेषित कर जिला के आला अधिकारियों की प्रशासनिक कार्यसंस्कृति की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। छह सूत्री मांग पत्र में अभियान संयोजक ने उल्लेख किया है झारखंड पांचवी अनुसूची राज्य है। और कोल्हान पोड़ाहाट यानी पश्चिमी सिंहभूम अनुसूचित जिला है। इस जिला में विकास परियोजना हो या विधि व्यवस्था सामान्य क्षेत्र के नियम कानून जिला वासियों पर जिला में पदस्थापित नौकरशाह के द्वारा नहीं थोपा जाना चाहिए । इसके लिए झारखंड पुनरूत्थान अभियान की ओर से एक वर्षों से जिला के आला अधिकारियों को चरणबद्ध आंदोलन करने के बाद बार बार लिखित मांग पत्र के द्वारा ध्यान आकृष्ट किया गया। लेकिन वे पोस्टकॉर्ब से इतर इस जिला के निरक्षर निर्दोष आदिवासी मूलवासियों को कहने लगते है कि सरकार की जमीन है इसलिए सरकार बड़े बड़े विकास परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करेगा और रैयतों को मुआवजा भुगतान किया जाएगा। जबकि कोल्हान पोड़ाहाट यानी पश्चिमी सिंहभूम में भारत का संविधान के अनुच्छेद 13 प्रभावी है। जिसके अनुसार कोल्हान पोड़ाहाट के पारंपरिक,सामाजिक, रूढ़िजन्य प्रथा मानकी मुंडा प्रवृत्त है।और न्यायालय का निर्णय भी जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त, पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा को अक्षरश अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया गया है। साथ ही भारत सरकार,जनजातीय मंत्रालय का भी मार्गदर्शन और निर्देश है कि आदिवासी क्षेत्रों में यानी अनुसूचित जिला में आदिवासियों के जमीन को किसी भी विकास परियोजना के लिए अधिग्रहण करने के पहले मानवीय, सहभागी सूचित,पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करना है। यानी RFCTLARR का अक्षरश अनुपालन सुनिश्चित करना है। लेकिन पश्चिमी सिंहभूम जिला में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के तहत जगन्नाथपुर,चाईबासा,चक्रधरपुर बायपास सड़क निर्माण करने के प्रक्रिया में मार्गदर्शन के अनुरूप आला अधिकारी काम नहीं कर रहे। जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण 1956 के अधिनियम में बहुत स्पष्ट RFCTLARR का उल्लेख किया गया है। यही वजह है झारखंड पुनरुत्थान अभियान उल्लेखित प्रावधानों के अनुरूप आला अधिकारियों से प्रशासनिक कार्यसंस्कृति कायम रखने की याद दिलाने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों के आलोक में निरंतर प्रदर्शन करते है।और जहां तक संपति का अधिकार को मौलिक अधिकार से अधिनियम के तहत लोप करने के बाद भी अनुच्छेद 13 के दायरे में रहने वाले कोल्हान पोड़ाहाट के निवासियों के लिए विशेष अधिकार सुरक्षित है जो उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में है। साथ ही भारत का संविधान के अनुच्छेद 300 क भी जमीन के मामले में कानूनी अधिकार प्रदान करता है। और उल्लेखित संवैधानिक प्रावधानों के साथ ही साथ अगर अनुच्छेद 31 के तहत कुछ विधियों की व्यावृत्ति का अध्ययन किया जाय तो कोल्हान पोड़ाहाट में इस्टेट का अर्थ भू संपदा के रूप में उल्लेखित है। बाबजूद इसके आला अधिकारीगण ग्रामीणों को यह बोलते रहे सरकार का जमीन है तो यह इस जिला के लिए कितना सही है यह उनको भी उपयुक्त अधिनियम के तहत ग्रामीणों को बताना चाहिए। साथ ही यह भी याद रखना आवश्यक है कि इस जिला में क्यों मानकी मुंडा जमीन जोत के बदले में राजस्व वसूली का काम करते है? मुख्यमंत्री और राज्यपाल को लिखित मांग पत्र के आलोक में उचित आवश्यक कार्रवाई नहीं होती है तो झारखंड पुनरूत्थान अभियान जल,जंगल,जमीन की रक्षा करने के लिए व्यापक जन आंदोलन करने के लिए विवश होगी।

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