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गर्भवती महिलाओं को राशन के बदले डब्बाबंद पोषाहार देना उचित नहीं : सरयू राय

जमशेदपुर। महिला, बाल विकास एवं समाज कल्याण विभाग के बजट में हस्तक्षेप करते हुये विधायक सरयू राय ने पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने के संबंध में राज्य सरकार की नीति में बदलाव का विरोध किया और कहा कि आंगनबाड़ी से गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को घर ले जाने के राशन के बदले उन्हें डिब्बाबंद पोषाहार देने का निर्णय उचित नहीं है।
श्री राय ने कहा कि कोविड के समय स्कूल और आंगनबाड़ी बंद रहने के कारण जिन्हें पूरक पोषाहार नहीं मिल सका उन्हें खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधान के अनुसार सरकार मुआवज़ा दे।
उन्होंने कहा कि चावल-दास के बदले सरकार सूक्ष्म पोषक पदार्थयुक्त फ़ोर्टिफ़ाइड पोषाहार देने जा रही है। पर, पूरक पोषाहार के फोर्टिफिकेशन के बारे में एफएसएसआई ने कोई मानदंड नहीं तय किया है जिसके आधार पर जाँचा जा सके कि सरकार द्वारा जाने वाले पोषाहार में किस सूक्ष्म पोषक की मात्रा कितनी होनी चाहिये। इतना ही नहीं हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्युट्रिशन ने भी इसके बारे में कोई मानदंड नहीं निर्धारित किया है।
सरयू राय ने सरकार को बताया कि चार साल पहले भी तत्कालीन सरकार ने डिब्बाबंद पोषाहार आंगनबाडियों के माध्यम से वितरित किया था जिसे लोगों ने पसंद नहीं किया। पंजीकरण, उपमा आदि के रूप में मिलने वाले डिब्बाबंद पोषाहार को या तो गृहिणियाँ फेंक देती थी।।जानवरों को देने पर वे भी इसे नहीं खा पाते थे।।राय ने सदन को बताया कि जब वे मंत्री थे तब आयरन फ़ोर्टिफ़ाइड नमक सरकार ने दिया तो नागरिकों ने ऐसे नमक को पसंद नहीं किया और नमक फेंकना पड़ा था।
राय ने झारखंड में कुपोषण और रक्त अल्पता से ग्रसित बच्चों और महिलाओं का आँकड़ा देते हुए सिद्ध किया कि कुपोषण और रक्त अल्पता की स्थिति झारखंड में चिंताजनक है। उम्र और लंबाई के हिसाब से बच्चों के वजन में कमी का आँकड़ा भी उन्होंने दिया और इस ओर विशेष ध्यान देने के लिये कहा।
राय ने दिव्यांगों को पेंशन देने, आंगनबाड़ी सेविका, सहायता की स्थिति सुधारने, आंगनबाड़ी भवनों को दुरुस्त करने पर ज़ोर दिया और कहा कि विधवा एवं वृद्ध-वृद्धा पेंशन योजना को समय पर लाभुको तक पहुँचाने की बात कही।

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